Hasrat Mohani Poetries: “तेरी महफ़िल से उठाता…” पढ़िए हसरत मोहानी के खूबसूरत शेर - Punjab Kesari
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Hasrat Mohani Poetries: “तेरी महफ़िल से उठाता…” पढ़िए हसरत मोहानी के खूबसूरत शेर

Hasrat Mohani Poetries: चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है, हम को अब तक आशिक़ी का वो

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चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,

हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है

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नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती,

मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं

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चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह,

मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है

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वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ,

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

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 तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजाल,

देखता था मैं कि तू ने भी इशारा कर दिया

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इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम,

कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास

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ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की,

दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ

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वाक़िफ़ हैं ख़ूब आप के तर्ज़-ए-जफ़ा से हम,

इज़हार-ए-इल्तिफ़ात की ज़हमत न कीजिए

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छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र,

पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र

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