आप के बा’द हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ए’तिबार किया
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है