ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
तेरे ख़याल की ख़ुशबू से बस रहे हैं दिमाग़
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहां कहां
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहां कहां
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
Bashar Nawaz Poetry: शायरी के जादूगर बशर नवाज के बेहतरीन शेर
फ़िराक़ गोरखपुरी के शेरकुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम
बात निकले बात से जैसे वो था तेरा बयां
नाम तेरा दास्तां-दर-दास्तां बनता गया
बस इतने पर हमें सब लोग दीवाना समझते हैं
कि इस दुनिया को हम इक दूसरी दुनिया समझते हैं
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
बस्तियां ढूंढ रही हैं उन्हें वीरानों में
वहशतें बढ़ गईं हद से तिरे दीवानों में