Faiz Ahmad Faiz Poetries: “तुम याद बे-हिसाब आए…” दिल भर देंगे फैज़ अहमद फैज़ के ये शेर - Punjab Kesari
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Faiz Ahmad Faiz Poetries: “तुम याद बे-हिसाब आए…” दिल भर देंगे फैज़ अहमद फैज़ के ये शेर

Faiz Ahmad Faiz Poetries: दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर

आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान,

भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे

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गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले

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दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के,
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

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अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें,
दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें

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अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें,
दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें

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कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब,
आज तुम याद बे-हिसाब आए

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उतरे थे कभी ‘फ़ैज़’ वो आईना-ए-दिल में,
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का

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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

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और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा,
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

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