बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया
मिरे दुख से किसी आवाज़ का रिश्ता निकल आया । (ai generated)
किस तरह किनारों को है सीने से लगाए
ठहरे हुए पानी की अदा तुम भी तो देखो
आहट पे कान दर पे नज़र इस तरह न थी
एक एक पल की हम को ख़बर इस तरह न थी
Rahat Indori Poetry: बेहतरीन शायर राहत इंदौरी के 8 खूबसूरत शेर, दिल खुश कर देंगे
चाहते तो किसी पत्थर की तरह जी लेते
हम ने ख़ुद मोम की मानिंद पिघलना चाहा
अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है
दिल वो आईना कि चुप-चाप तका करता है
मैं कहां जाऊं कि पहचान सके कोई मुझे
अजनबी मान के चलता है मुझे घर मेरा
बहते पानी की तरह दर्द की भी शक्ल नहीं
जब भी मिलता है नया रूप हुआ करता है
आप वो स्याने रस्ते के हर पत्थर को बुत मान लिया
हम वो पागल अपनी राह में आप ही ख़ुद दीवार हुए । (ai generated)