Allama Iqbal Poetry: “फ़क़त निगाह से होता है…” पढ़ें अल्लामा इक़बाल के खूबसूरत शेर - Punjab Kesari
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Allama Iqbal Poetry: “फ़क़त निगाह से होता है…” पढ़ें अल्लामा इक़बाल के खूबसूरत शेर

Allama Iqbal Poetry: माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं, तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख

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हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा

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दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूं या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

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फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है

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सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसितां हमारा

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ढूंढ़ता फिरता हूं मैं ‘इक़बाल’ अपने आप को
आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूं मैं

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मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव है आता है धन जाता है धन

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नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

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