Akhtar Shirani Poetry: अख्तर शिरानी के खजाने से 8 सुंदर शेर - Punjab Kesari
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Akhtar Shirani Poetry: अख्तर शिरानी के खजाने से 8 सुंदर शेर

Akhtar Shirani Poetry: काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें…

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काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें
उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें

ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब
ऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता

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रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा
एक नक़्शा सामने आता रहा जाता रहा

मिट चले मेरी उमीदों की तरह हर्फ़ मगर
आज तक तेरे ख़तों से तिरी ख़ुशबू न गई

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अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
वो बार बार याद जो आएँ तो क्या करें

अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें

माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब
लेकिन वो ख़्वाब में भी न आएँ तो क्या करें

ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है

imageJigar Moradabadi Poetry: जिगर मुरादाबादी के पिटारे से 8 चुनिंदा शेर

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