Shamim Karhani Poetry: शमीम करहानी के पिटारे से 8 चुनिंदा शेर - Punjab Kesari
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Shamim Karhani Poetry: शमीम करहानी के पिटारे से 8 चुनिंदा शेर

Shamim Karhani Poetry: दिल को छू लेने वाले 8 बेहतरीन शेर

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बुझा है दिल तो न समझो कि बुझ गया ग़म भी
कि अब चराग़ के बदले चराग़ की लौ है

चुप हूं तुम्हारा दर्द-ए-मोहब्बत लिए हुए
सब पूछते हैं तुम ने ज़माने से क्या लिया

लीजिए बुला लिया आप को ख़याल में
अब तो देखिए हमें कोई देखता नहीं

पीने को इस जहान में कौन सी मय नहीं मगर
इश्क़ जो बांटता है वो आब-ए-हयात और है

बे-ख़बर फूल को भी खींच के पत्थर पे न मार
कि दिल-ए-संग में ख़्वाबीदा सनम होता है

वो दिल भी जलाते हैं रख देते हैं मरहम भी
क्या तुर्फ़ा तबीअत है शोला भी हैं शबनम भी

तुझे हवा-ए-मुख़ालिफ़ जगा दिया किस ने
बहुत क़रीब था साहिल कई सफ़ीनों से

याद-ए-माज़ी ग़म-ए-इमरोज़ उमीद-ए-फ़र्दा
कितने साए मिरे हमराह चला करते हैं

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