Firaq Gorakhpuri Poetry: फ़िराक़ गोरखपुरी के खजाने से 8 बेहतरीन शेर - Punjab Kesari
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Firaq Gorakhpuri Poetry: फ़िराक़ गोरखपुरी के खजाने से 8 बेहतरीन शेर

Firaq Gorakhpuri Poetry: फ़िराक़ गोरखपुरी के खजाने से चुनिंदा 8 बेहतरीन शेर

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बात निकले बात से जैसे वो था तेरा बयां
नाम तेरा दास्तां-दर-दास्तां बनता गया

आई है कुछ न पूछ क़यामत कहां कहां
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहां कहां

जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
ख़ाक उड़ाते फिरते हैं जो दीवाने दीवाने हैं

कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम

कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम

फ़ितरत मेरी इश्क़-ओ-मोहब्बत क़िस्मत मेरी तंहाई
कहने की नौबत ही न आई हम भी किसू के हो लें हैं

किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी

फिर वही रंग-ए-तकल्लुम निगह-ए-नाज़ में है
वही अंदाज़ वही हुस्न-ए-बयां है कि जो था

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