आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बाद आए जो अज़ाब आए
वीरां है मयकदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमाएं जलीं
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम
जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है
सब उन को सुनाने के दिन आ रहे हैं
Gifting Ideas: इस वैलेंटाइन डे, Long Distance पार्टनर को गिफ्ट करें ये चीजें