2017 में बीएसएफ कैंप पर हमले का मास्टरमाइंड नूरा साथी सहित ढेर - Punjab Kesari
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2017 में बीएसएफ कैंप पर हमले का मास्टरमाइंड नूरा साथी सहित ढेर

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दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में मंगलवार की सुबह सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य कमांडर को मार गिराया। 4 फीट 2 इंच के कद वाले डबल ए श्रेणी के अत्यंत कट्टर आतंकी पर 10 लाख का इनाम था। 47 वर्षीय नूर मोहम्मद तांत्रे इतना खतरनाक आतंकी था कि पोटा अदालत ने उसे “मौत का सौदागर’ कह दिया था।

साल 2017 अक्टूबर में श्रीनगर एयरपोर्ट के पास बीएसएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले समेत कई वारदातों में वह शामिल था। फिलहाल, मारे गए दोनों आतंकियों के एक अन्य साथी की तलाश जारी है। नूरा के मारे जाने के साथ ही जैश द्वारा श्रीनगर-अनंतनाग राष्ट्रीय राजमार्ग और श्रीनगर शहर में एक बड़े आतंकी हमले की रची जा रही साजिश भी नाकाम हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, सुरक्षाबलों को अपने तंत्र से पता चला कि जैश के आतंकियों का एक दल जिला पुलवामा के अंतर्गत पांपोर के साथ सटे संबूरा इलाके में छिपा है। इसका पता चलते ही सुरक्षाबलों ने सोमवार रात साढ़े ग्यारह बजे घेराबंदी एवं तलाशी अभियान (कासो) चलाया और आधी रात को ,शुरू हो गई। ऑपरेशन शुरू होते ही आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। तांत्रे जिस मकान में छिपा था, सुरक्षा बलों ने मंगलवार सुबह उसे ध्वस्त कर दिया। उसके शव के पास से हथियार और 19.20 लाख रुपए मिले हैं।

डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा, ‘तांत्रे का मारा जाना बड़ी कामयाबी है। आतंकी श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर एक काफिले पर हमले की योजना बना रहे थे। इलाके में सुरक्षा के चलते इंटरनेट और रेल सेवा रद्द कर दी गई है। मंगलवार की सुबह सुरक्षाबलों ने मलबे का ढेर बने आतंकी ठिकाने की तलाशी ली तो उन्हें वहां नूरा और अर्सलन का शव मिला। नूरा त्राल का रहने वाला था।

इससे पहले राज्य पुलिस के महानिदेशक डॉ. एसपी वैद ने सुबह ट्वीट कर बताया था कि घेराबंदी में दो से तीन आतंकी फंसे थे। एक आतंकी का शव मिला है। अन्य की तलाश जारी है।नूरा करीब पांच माह पहले ही जैश ए मोहम्मद में सक्रिय हुआ था। वर्ष 2003 में दिल्ली में आतंकी साजिशों को अंजाम देने के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह जुलाई 2015 में पैरोल पर छूटा और उसके बाद से लगातार अपना पैरोल बढ़वा रहा था, लेकिन इसी साल 14 जुलाई को दोबारा जैश के साथ जा मिला।

आतंकी संगठन में दोबारा सक्रिय होने के बाद ही नूरा त्राली ने जैश की गतिविधियों में तेजी लाना शुरू की थी। इसी साल 21 सितंबर को त्राल में राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री नईम अख्तर के काफिले पर ग्रेनेड हमले की साजिश भी उसने ही रची थी। यह ग्रेनेड गुलजार नामक आतंकी ने फेंका था। इस हमले में दो नागरिकों की मौत व 30 अन्य जख्मी हुए थे। इसके बाद तीन अक्तूबर को श्रीनगर एयरपोर्ट के साथ सटे बीएसएफ शिविर में हुए जैश के आत्मघाली हमले की साजिश में भी नूरा त्राली शामिल था। उसने एक स्थानीय सूत्र की मदद से तीन हमलावर विदेशी आतंकियों को शिविर तक पहुंचाया था।

हमले में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया था। जवाबी कार्रवाई में तीनों आतंकी भी मारे गए थे। नूरा त्राली के मारे जाने की खबर फैलते ही पूरे पुलवामा में तनाव पैदा हो गया। लोगों ने हड़ताल कर दी और पूरा दिन सामान्य जनजीवन ठप रहा। इस दौरान कई जगह ¨हसक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबीलों के बीच झड़पें भी हुईं। हालात को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रशासन ने कई इलाकों में निषेधाज्ञा भी लागू कर दी। बनिहाल-श्रीनगर रेल सेवा को स्थगित करने के साथ पुलवामा और उसके साथ सटे इलाकों में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है।

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