जम्मू-कश्मीर के बारामूला में पत्रकार शुजात बुखारी के जनाजे में काफी लोगों की भीड़ उमड़ी है। उनको अंतिम बिदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जनाजे में शामिल हुए और आतंकियों को करारा जवाब दिया। शुजात बुखारी को थोड़ी ही देर में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा। शुजात बुखारी के जनाजे में भारी संख्या में शामिल होकर घाटी की जनता ने आतंकियों को एक बार फिर दिखा दिया कि वो आतंकियों के मंसूबों के पूरी तरह खिलाफ हैं। शुजात बुखारी के जनाजे में भारी संख्या में शामिल होकर घाटी की जनता ने आतंकियों को एक बार फिर दिखा दिया कि वो उनके मंसूबों के पूरी तरह खिलाफ है।
बता दें श्रीनगर में गुरुवार को तीन बाइक सवार आतंकियों ने राइजिंग कश्मीर अखबार के संपादक शुजात बुखारी (48) श्रीनगर में लाल चौक सिटी सेंटर स्थित अपने ऑफिस प्रेस इनक्लेव से निकलकर एक इफ़्तार पार्टी में जा रहे थे तभी अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी। जिसमें बुखारी की मौत हो गई । इस हमले में बुखारी की सुरक्षा में तैनात 2 जवानों की भी मौत हो गई। अभी तक किसी भी संगठन या गुट ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है। कश्मीर ज़ोन पुलिस ने संदिग्ध हमलावरों की तस्वीर जारी की है।
14 जून के अपने आख़िरी ट्वीट में बुखारी ने लिखा था, ”कश्मीर में हमने गर्व के साथ पत्रकारिता की है और यहां पर जो भी हो रहा है उसे लोगों के सामने लाते रहेंगे।
It is unfortunate that a credible think tank like @orfonline should allow this diatribe in absence of the person referred to. In #Kashmir we have done Journalism with pride and will continue to highlight what happens on ground. @samirsaran https://t.co/bGjajFT9yb
— Shujaat Bukhari (@bukharishujaat) 14 June 2018
इस बीच, सूत्रों के मुताबिक इस हत्याकांड में कश्मीर हॉस्पिटल से फरार आतंकी नावेद जट का हाथ माना जा रहा है। संदिग्धों की तस्वीर में बाइक पर बीच में बैठा आतंकी नावेद जट बताया जा रहा है। लश्कर आतंकी नावेद जट पिछले दिनों श्रीनगर के अस्पताल से फरार हो गया था। पुलिस ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है लेकिन सीसीटीवी से तीन संदिग्धों की तस्वीर की पहचान कराई जा रही है। पहचान के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है। हालांकि, लश्कर ने शुजात बुखारी की हत्या की निंदा की है लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि ये आतंकी संगठन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी और हमलावरों की पहचान के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है। जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से हमलवारों से जुड़ी जानकारी देने के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं। साथ ही अब पुलिस इस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर हमलावरों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है। पुलिस की ओर से जारी दो तस्वीरों में तीन लोग बाइक पर जाते दिख रहे हैं जिन्होंने अपने चेहरे ढके हुए हैं।
पहले भी कई जानलेवा हमले हो चुके थे बुखारी पर
बता दें कि शुजात बुखारी पर इससे पहले भी कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। जुलाई 1996 में आतंकियों ने उन्हें 7 घंटे तक अनंतनाग में बंधक बनाकर रखा था। इसके बाद साल 2000 में जान से मारने की धमकी के बाद बुखारी को पुलिस सुरक्षा दी गई थी। साल 2006 में भी बुखारी पर जानलेवा हमला किया गया था। एक साल पहले ही पाकिस्तानी आतंकियों से उन्हें धमकी मिली थी। इसके बाद उन्हें X श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी जिसमें उनके साथ 2 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे।
शुजात बुखारी भारत-पाक शांति वार्ता और कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए लगातार सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे। साथ ही उनके अखबार राइजिंग कश्मीर को घाटी की आवाज कहा जाता था। जान के खतरे के बावजूद वह हमेशा कहा करते थे कि बंदूक का डर दिखाकर उनकी कलम को शांत नहीं कराया जा सकता।
बुखारी की हत्या पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है। राजनाथ ने ट्वीट कर लिखा, ‘राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या कायराना हरकत है। यह कश्मीर की विचारशील आवाज को दबाने की कोशिश है। वह साहसी एवं निर्भीक पत्रकार थे। उनकी मौत से बहुत स्तब्ध और दुखी हूं. मेरी संवेदना शोक संतप्त परिवार के साथ हैं।’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बुखारी की हत्या की निंदा करते हुए ट्वीट किया, ‘वह बहुत बहादुर थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर में न्याय और शांति के लिए निडरता से संघर्ष किया। मेरी संवेदना उनके परिवार के प्रति है. वह बहुत याद आयेंगे।’ जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी बुखारी की हत्या की निंदा की और पीड़ित परिवार से मुलाकात की।
यूएन की रिपोर्ट का किया था समर्थन
अपनी हत्या के दिन ही कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन पर आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर उन्होंने आखिरी ट्वीट किया था। इसे उन्होंने सही रिपोर्ट कहा था। बुखारी कश्मीर में होने वाली हर घटना पर ग्राउंड रिपोर्ट करते थे। इसी वजह से वे आतंकियों के भी निशाने पर आ गए।
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