14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। यह आतंकी हमला पुलवामा जिले के नेशनल हाईवे पर हुआ और इसमें 44 जवान शहीद हो गए हैं। 44 शहीद जवानों के अलावा बहुत सारे सीआरपीएफ के जवान घायल हुए हैं जो इस समय अस्पताल में हैं।
आतंकियों के इस हमले की वजह से पूरा देश आक्रोश में है वह सरकार से आतंकवादियों से इस हमले का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए कह रहे हैं। पुलवामा आंंतकी हमले के बाद देश के पीएम मोदी ने कहा है कि इस समय देश के लोग गुस्से में है।
सीआरपीएफ के जवानों को काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था उस समय यह आतंकी हमला हुआ। सीआरपीएफ ने कड़ी सुरक्षा कर रखी थी लेकिन उनकी अपनी एक छोटी सी गलती की वजह से यह आतंकी हमला हो गया और उसमें 44 जवानों की जानें चली गईं।
सीआरपीएफ की इस छोटी सी गलती की वजह से कई 44 जवानों की जानें
हालांकि सीआरपीएफ ने सारे रूट पर सावधानी बरती थी जिस-जिस जगह से जवानों का यह काफिला जाना था। इसके अलावा उन्होंने इस दौरान ग्रेनेड हमले या फिर अचानक से फायरिंग पर भी बहुत सावधानी करी थी। सीआपीएफ ने जवानों के काफिले के जाने से पहले हर रूट की अच्छे से जांच की थी।
पुलवामा के इस आतंकी हमले पर बात करते हुए सीआरपीएफ के इंस्पकक्टर जनरल, कश्मीर जुल्फिकार हसन ने कहा, रोड ओपनिंग पार्टी ने सुबह ही पूरे रूट की अच्छे से चेकिंग की थी। उस समय उस रूट पर किसी तरह के हमले होने का आईईडी नहीं मिला था। हमें तो इस बात की बिल्कुल संभावना नहीं थी कि किसी भी जवानों के काफिले पर फायरिंग या ग्रेनेड से हमला हो जाएगा।
लेकिन सीआरपीएफ के अधिकारियों को क्या मालूम था कि उसी जगह के स्थानीय लोगों के वाहनों को नेशनल हाईवे से जाने की अनुमति देने पर उनके अपने 44 जवानों की मौत हो जाएगी। उनकी इस छोटी से भूल का खामीजाया जवानों ने अपनी जान से दिया। बता दें कि जम्मू-श्रीनगर के एक हिस्से में काफिले के दौरान स्थानीय नागरिकों के वाहनों के जाने की अनुमति दे दी थी जिसका फायदा जैश-ए-मोहम्मद ने उठाया और वहां पर आतंकी आदिल अहमद से आत्मघाती हमला करवा दिया।
गृहमंत्री ने फिर से स्थानीय लोगों के वाहनों पर लगाई रोक
आतंकवादी आदिल जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग की एक सर्विस रोड पर आया और उसने बाद में सीआरपीएफ की एक बस को टक्ककर मार दी और यह आतंकी हमले किया। सीआरपीएफ के उस काफीले में 78 गाडिय़ां जा रही थीं और उसमें 2545 जवान थे।
इससे पहले जब भी जम्मू-कश्मीर में जवानों का काफिला जाता था तो उस बीच स्थानीय नागरिकों के वाहन को जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी। लेकिन जब वहां के हालात सही होने लगे तो जवानों के काफिलों के बीच स्थानीय लोगों की गाडिय़ां जाने लगी और इस बार यह खतरनाक साबित हुआ।
हालांकि देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज से स्थानीय लोगों के वाहनों के जाने पर रोक लगा दी है। गृह मंत्री ने कहा है कि जब भी जम्मू-कश्मीर में जवानों के बड़े काफिले जाएंगे तो उस दौरान लोगों के वहान को रोक लगा दी जाएगी।