'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर उमर अब्दुल्ला: 2019 की गलतियों से सीखें - Punjab Kesari
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‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर उमर अब्दुल्ला: 2019 की गलतियों से सीखें

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उमर अब्दुल्ला: 2019 की गलतियों को न दोहराएं

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बात की और कहा कि यह वैसा नहीं होना चाहिए जैसा अनुच्छेद 370 के साथ हुआ था। अब्दुल्ला ने कहा, “यह अभी संसद के सामने नहीं आया है। इस पर सदन में बहस होगी। बहस खुली होनी चाहिए; यह वैसा नहीं होना चाहिए जैसा 2019 में अनुच्छेद 370 के साथ हुआ था। इस पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। जहां तक ​​नेशनल कॉन्फ्रेंस का सवाल है, हम बैठकर इस पर राय बनाएंगे और अपने सांसदों को बताएंगे कि उन्हें कैसे वोट करना है।”

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‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर उमर अब्दुल्ला

‘इसका हश्र अनुच्छेद 370 से संबंधित विधेयक जैसा नहीं होना चाहिए, जिसे एक या दो घंटे की सांकेतिक चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी ने कहा कि भाजपा केवल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करना चाहती है क्योंकि उनके चुनाव अभियानों में धर्म और जाति के अलावा कुछ नहीं था। माजी ने कहा, “भाजपा एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करना चाहती है, क्योंकि उनके चुनाव अभियान में धर्म और जाति के अलावा कुछ नहीं है।

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2019 की गलतियों से सीखें

झारखंड विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने (भाजपा ने) धर्म और जाति के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा… एक राष्ट्र एक चुनाव के जरिए वे जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं… केंद्र सरकार कभी भी स्थानीय मुद्दों पर काम नहीं कर पाएगी… एक राष्ट्र एक चुनाव क्षेत्रीय दलों को नुकसान पहुंचाने की साजिश का हिस्सा है…” दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि यह फैसला अव्यवहारिक है, क्योंकि इससे राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म हो सकता है।

पक्ष और विपक्ष के बीच बहस

जंग ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह कोई व्यावहारिक फैसला है, क्योंकि राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म हो सकता है… इस पर कोई संवैधानिक प्रतिबंध नहीं है। आप इसे आजमा सकते हैं, लेकिन यह बिल्कुल अव्यवहारिक है, ऐसा नहीं होगा…” गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि, संसद में पेश किए जाने से पहले इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस शुरू हो गई।

(News Agency)

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