श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनाव के बहिष्कार का फैसला किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ऐसा फैसला अनुच्छेद 35A के कारण किया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन को धारा 35A को मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि दोनों सरकारों को धारा 35A के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका पर जोरदार तरीके से पैरवी करनी चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 35 ए को लेकर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। आर्टिकल 35 ए जम्मू कश्मीर के नागिरकों को विशेष अधिकार और सुविधायें प्रदान करता है। यह राज्य के बाहर के लोगों को इस राज्य में किसी भी प्रकार की अचल संपत्ति प्राप्त करने पर रोक लगाता है। यही नहीं, इस राज्य की कोई महिला यदि किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करती है तो उसे संपत्ति के अधिकार से वंचित किया जाता है और उसके उत्तराधिकारियों पर भी यह प्रावधान लागू होता है।
बता दें कि जम्मू कश्मीर के नये राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 31 अगस्त को राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद सूबे में पंचायत चुनाव का ऐलान कर दिया है। जम्मू कश्मीर में आठ नवंबर से चार दिसंबर के बीच आठ चरणों में पंचायत चुनाव आयोजित किये जाएंगे। जबकि निकाय चुनाव एक से चार अक्टूबर के बीच चार चरणों में होंगे। चुनाव के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए टाल दी है।
जाने क्या है अनुच्छेद 35A
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है। इसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें। अनुच्छेद 35A, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया।अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है। इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।