कश्मीर में इन दिनों हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। घाटी में लगातार हो रही टारगेट किलिंग को लेकर वह रह रहे हिन्दुओं में खौफ का माहौल है। आतंकियों द्वारा गैर मुस्लिम लोगों की हत्याओं के बाद हिन्दुओं ने एक बार फिर घाटी से पलायन शुरू कर दिया। इस पलायन ने एक बार फिर 1990 का दौर याद दिला दिया। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीरी पंडित समुदाय और प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों के मद्देनजर शुक्रवार को दिल्ली में एक हाई लेवल बैठक की थी। जिसमे उन्होंने अशांत केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। जिसके बाद श्रीनगर में तैनात 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों के ट्रांसफर का आदेश दिया।
6,000 कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया
कश्मीर में बीते दिनों से लगातार हिन्दू और सरकारी कर्मचारी आतंकियों की गोली का निशाना बन रहे है। पहले कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट, फिर हिन्दू शिक्षिका रजनी बाला, उसके बाद बैंक मैनेजर विजय कुमार और अब 17 वर्षीय दिलकुश कुमार, बीते कुछ ही दिनों में आतंकियों की गोली का निशाना बन चुके है।भट की हत्या के बाद विभिन्न स्थानों पर लगभग 6,000 कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। उन्होंने घाटी के बाहर अपने ट्रांसफर की मांग की।
गुरुवार को, कश्मीर में दो लोगों (एक बैंक कर्मचारी और एक ईंट भट्ठा मजदूर) की मौत हो गई। आपको बता दें कि एक मई से से अब तक बैंक मैनेजर आतंकवादियों का आठवां और मजदूर कश्मीर में नौवां शिकार था
…1990 का मंजर
कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षा कैंप में रह रहे कश्मीरी पंडित पिछले 22 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें कश्मीर में 1990 का मंजर दिखाई दे रहा है। इस वक्त भी सब उसी तरह पलायन कर रहे हैं। करीब 3000 कर्मचारी पहले ही जम्मू पहुंच चुके हैं। अनंतनाग के मट्टन इलाके में 20 गाड़ियां निकल चुकी हैं जिसमें प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत काम करने वाले लोग परिवार के साथ जम्मू के लिए रवाना हो गए हैं।