जम्मू-कश्मीर में भारत का पहला High-Altitude जलवायु अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन - Punjab Kesari
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जम्मू-कश्मीर में भारत का पहला High-Altitude जलवायु अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन

नथाटॉप में उच्च ऊंचाई पर जलवायु अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन

जम्मू-कश्मीर के नथाटॉप में भारत का पहला हाई-ऑल्टिट्यूड जलवायु अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस केंद्र को ‘ऐतिहासिक क्षण’ करार दिया। यह केंद्र हिमालय में जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा और भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को और मजबूत करेगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के नथाटॉप में देश का पहला हाई-ऑल्टिट्यूड जलवायु अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया। यह अत्याधुनिक केंद्र समुद्र तल से 2,250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में जलवायु अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण द्वार के रूप में कार्य करेगा। डॉ. सिंह ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” करार देते हुए कहा, “आज भारत हिमालय में जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान का एक नया द्वार खोलता है। यह कदम भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को और मजबूत करेगा।”

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उद्घाटन समारोह के दौरान उन्होंने भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संयुक्त शोध परियोजना “आईसीई-सीआरयूएनसीएच” को भी रवाना किया। यह परियोजना भारतीय वैज्ञानिकों और स्विट्जरलैंड के ईटीएच ज्यूरिख संस्थान के शोधकर्ताओं के बीच सहयोग से चलाई जा रही है।आईसीई-सीआरयूएनसीएच परियोजना का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में बर्फ बनने वाले कणों और बादलों की संघनन नाभिकीय गुणों का अध्ययन करना है। यह अध्ययन एरोसोल्स के बादलों की संरचना और जलवायु प्रणाली पर प्रभाव को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह केंद्र भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच सहयोग से स्थापित हुआ है। भूमि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा प्रदान की गई है, जबकि रिसर्च कार्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू और स्विस नेशनल साइंस फाउंडेशन के वैज्ञानिक भाग लेंगे।नथाटॉप का चयन इसकी स्वच्छ वायु और न्यूनतम प्रदूषण के कारण किया गया है, जो वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए आदर्श स्थल है। यहां की स्थितियां फ्री ट्रोपोस्फेरिक वातावरण में अनुसंधान करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करती हैं।

यह केंद्र न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि युवा वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और भारत में जलवायु मॉडलिंग क्षमताओं के विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।

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