दिनेश्वर शर्मा ने कहा कश्मीर को सीरिया बनने से रोकना होगा - Punjab Kesari
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दिनेश्वर शर्मा ने कहा कश्मीर को सीरिया बनने से रोकना होगा

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कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के नए मिशन पर काम करने के लिए चुने गए पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा ने कहा कि हमारी प्राथमिकता कश्मीर को सीरिया बनने से बचाना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम कश्मीर के युवायों के भीतर की नफरत को खत्म करना चाहते हैं। आपको बता दें कि शर्मा का ये बयान तब आया है जब कुछ दिन पहले ही केंद्र ने उन्हें राज्य में बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त किया था। दिनेश्वर शर्मा ने आज कहा कि मेरा उद्देश्य है कश्मीर के हर उस इंसान से बात करना जो इस हिंसा का खत्म करना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘चाहे रिक्शेवाला हो या फिर ठेला खींचने वाला हो, मैं हर शख्स से बात करना चाहता हूं।’

दिनेश्वर शर्मा ने IANS को दिए साक्षात्कार में गुमराह युवकों के आतंकी कमांडर बनने की ओर इशारा करते हुए कहा, ”मैं दर्द महसूस करता हूं और कई बार भावुक भी हो जाता हूं। मैं चाहता हूं कि सभी तरफ से जितना जल्दी हो सके, हिसा समाप्त की जाए।” उन्होंने कहा कि खलीफा (इस्लाम को स्थापित करने) की बात करने के चलते कश्मीर में अलकायदा प्रमुख जाकिर मुसा और हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी को ज्यादा तवज्जो मिली है।

पूर्व आईबी चीफ ने कहा कि कश्मीर के युवा जिस तरफ बढ़ रहे हैं, वो अतिवाद है और यह पूरी तरह से कश्मीरी समाज को तबाह कर देगा।शर्मा ने कहा, ”मुझे कश्मीर के लोगों की चिंता है। अगर यह चलता रहा, तो यहां के हालात यमन, सीरिया और लीबिया जैसे हो जाएंगे। कई समूह आपस में लड़ना शुरू कर देंगे। लिहाज यह अहम है कि हम सभी इस वार्ता में सहयोग करें, ताकि कश्मीरियों की परेशानी कम हो सकें।”

आतंकवाद को आर्थिक मदद मामले में हुर्रियत के कुछ नेताओं के जेल में बंद होने के बावजूद सरकार ने घाटी में शांति के लिए सकारात्मक वार्ता की पहल की है। हालांकि इसके बाद भी हुर्रियत नेताओं ने दिनेश्वर शर्मा की नियुक्ति पर अब तक चुप्पी साध रखी है। कश्मीरी युवकों के कश्मीर समस्या के अलावा हाल के दिनों में अतिवादी होने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सूबे में साल 2008 के जमीन विवाद और बुरहान वानी के मारे जाने के बाद वर्ष 2016 के सड़कों पर लगातार हिंसा की घटनाओं के पहले राज्य में लगभग शांति थी। शर्मा ने कहा कि किसी भी तरह युवाओं और छात्राओं के दिमाग को किसी अन्य जगह लगाना होगा। यह सुलझाने का बिंदु है। मैंने बहुत करीब से कश्मीर में हिंसा देखी है। मैं श्रीनगर में तैनात था, इसलिए इस तरह की हिंसा देखकर मुझे बहुत पीड़ा और दुख होता है।

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