अफ्रीकी देश गाम्बिया में कफ सिरफ ने 66 बच्चों की जान लील ने के बाद पूर्व में इसी कफ सीरफ ने भारत को जम्मू कश्मीर में भी करीब 12 बच्चों की जान लील ली हैं। लेकिन यह जम्मू कश्मीर घटना पिछले वर्ष की हैं , उस दौरान इस कफ सीरफ के पीने से 12 बच्चों की जान चली गई थी, जबकि 6 बच्चे दिव्यांग हो गए थे। बताया जा रहा हैं इस कफ सीरफ पीने से14 मासूम बच्चों की जान चली गई थी, इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दखल के बाद सरकार ने मासूमों के परिजन को 3 लाख की आर्थिक सहायता देने की बात कही थी। इस मामले को लेकर जम्मू कश्मीर ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की थी , जो अभी विचाराधीन हैं।
क्या हो सकता हैं दवा के लेने से बच्चों की मौत का कारण
अक्सर फार्मेसी कंपनिया सभी प्रकार की जिम्मेदारी लेती हैैं , लेकिन इस दवा में कई ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो शरीर को शिथिलता की ओर बढ़ाकर मौत के मुंह में धकेल देता हैं , क्योंकि इस दवा में डायथाइलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा के होने से बच्चों के पेट में दर्द, उल्टी, दस्त से लेकर गंभीर मामलों में किडनी फेल होने तक का कारण बनती हैं, जिस कारण दवा के सेवन से बच्चों की जान चली जाती हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लगाई थी कंपनी को फटकार
मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार कंपनी ने अपनी जांच अधिकारियों की खामी पाई थ। जिसमें राज्य सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया था। आयोग ने अपनी कार्रवाई में कंपनी के खिलाफ 36 लाख का जुर्माना लगाया था। जो मासूमों के परिजनों को दी गई। लेकिन कंपनी ने अपनी गलती ना मानते हुए सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वंहा से भी राहत ना मिलने पर कंपनी ने ३६ लाख का जुर्माना भरा थाा।
एक अन्य बच्चे की मौत पर चल रहा हैं कंपनी का विवाद
जम्मू कश्मीर प्रशासन विभाग ने दोबार कंपनी के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी , जिसकी याचिका लंबिक हैं , लेकिन इसके विपरीत कंपनी के खिलाफ एक बच्चे की मौत पर विवाद में काम चल रहा हैं।
क्या हो सकता हैं दवा के लेने से बच्चों की मौत का कारण
अक्सर फार्मेसी कंपनिया सभी प्रकार की जिम्मेदारी लेती हैैं , लेकिन इस दवा में कई ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो शरीर को शिथिलता की ओर बढ़ाकर मौत के मुंह में धकेल देता हैं , क्योंकि इस दवा में डायथाइलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा के होने से बच्चों के पेट में दर्द, उल्टी, दस्त से लेकर गंभीर मामलों में किडनी फेल होने तक का कारण बनती हैं, जिस कारण दवा के सेवन से बच्चों की जान चली जाती हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लगाई थी कंपनी को फटकार
मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार कंपनी ने अपनी जांच अधिकारियों की खामी पाई थ। जिसमें राज्य सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया था। आयोग ने अपनी कार्रवाई में कंपनी के खिलाफ 36 लाख का जुर्माना लगाया था। जो मासूमों के परिजनों को दी गई। लेकिन कंपनी ने अपनी गलती ना मानते हुए सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वंहा से भी राहत ना मिलने पर कंपनी ने ३६ लाख का जुर्माना भरा थाा।
एक अन्य बच्चे की मौत पर चल रहा हैं कंपनी का विवाद
जम्मू कश्मीर प्रशासन विभाग ने दोबार कंपनी के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी , जिसकी याचिका लंबिक हैं , लेकिन इसके विपरीत कंपनी के खिलाफ एक बच्चे की मौत पर विवाद में काम चल रहा हैं।