अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम ‘योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ है, जो व्यक्तिगत और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए योग को प्रोत्साहित करती है। योग दिवस की शुरुआत भारत के पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में की गई थी और इसे 21 जून को मनाने की घोषणा की गई। यह दिन आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
आजकल के भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोगों का फिजिकल और मेंटल हेल्थ अधिक प्रभावित हो रहा है। ऐसे में लोगों को अच्छी जीवनशैली को अपनाने के लिए योग करना अति आवश्यक हो गया है। क्योंकि लोग व्यस्त लाइफस्टाइल के कारण अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे में आप शरीर और मस्तिष्क दोनों तरह से परेशान रहने लगते हैं। इन परिस्थिति में अपने आपको सही रखने के लिए योग जरूर करना चाहिए। अब सवाल है कि योग दिवस 2025 की थीम क्या है और इसके इतिहास क्या है? ऐसे में चलिए जानते है इसका जवाब।
योग दिवस 2025 की थीम
हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक खास थीम पर आधारित होता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। इस साल योग दिवस 2025 का विषय है Yoga for One Earth, One Health यानी एक पृथ्वी और एक स्वास्थ्य। यह थीम अर्थ पर रहने वाले हर एक व्यक्ति के हेल्थ के लिए योग को प्रोत्साहित करने पर आधारित है। इस थीम का मेन मकसद व्यक्तिगत और वैश्विक हेल्थ के बीच संबंध को बताना है।
क्या है इसका इतिहास?
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को यूनाइटेड नेशन महासभा में योग दिवस का प्रस्ताव रखा था। इसी साल 11 दिसंबर 2014 को यूनाइटेड नेशन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया। जिसके बाद पहला योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसमें दुनिया भर के लाकहों लोगों ने भाग लिया।
क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
फिजिकल और मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने के लिए योग दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
फिजिकल और मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए भी इसकी शुरुआत की गई।
आतंरिक शांति के लिए योग दिवस की शुरुआत की गई।
सामाज में एकता को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर योग दिवस को मनाने के लिए भारत के पीएम मोदी ने यह प्रस्ताव UN में रखा, जिसे मंजूरी भी मिल गई।
आखिर 21 जून ही क्यों चुना गया?
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए 21 जून का समय तय किया गया। क्योंकि यह दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है। यह दिन योग के लिए प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का समय माना जाता है।
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