रेलवे ने ज्यादा सामान लेकर यात्रा करने वालों से जुर्माना वसूलने की अपनी योजना रद्द कर दी है। एक सप्ताह पहले ही ऐसी घोषणा की गई थी, जिसकी सोशल मीडिया पर इस फैसले की जमकर आलोचना हुई। रेलवे ने पिछले साप्ताह कहा था कि ज्यादा सामान ले जाने पर यात्रियों से छह गुना अधिक जुर्माना वसूला जाएगा। दरअसल, इसके जरिये रेलवे की मंशा तय मात्रा से अधिक सामान ले जाने के तीन दशक पुराने नियम को लागू करना था, लेकिन इसकी सोशल मीडिया पर जबरदस्त आलोचना हुई, जिसके बाद सरकार को कदम वापस लेना पड़ा।
अब रेल मंत्रालय ने कहा है कि इसका मकसद रेल यात्रियों के बीच जागरुकता को बढ़ाना था।रेलवे ने ज्यादा सामान की जांच के लिए 01 जून से छह दिवसीय अभियान शुरू किया था। तय मात्रा से अधिक सामान ले जाने पर यात्रियों से छह गुना अधिक जुर्माना वसूलने की बात कही गई, लेकिन रेल से अक्सर सफर करने वालों को यह रास नहीं आया। रेलवे को इस फैसले के कारण सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। इस मुद्दे पर किरकिरी के बाद अब रेलवे ने इस योजना को वापस लेने का फैसला किया है।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता राजेश बाजपेयी ने कहा कि इसका मकसद लोगों को इस बात के लिए केवल जागरूक करना था कि कैसे अधिक सामान के साथ यात्रा करने से अन्य यात्रियों को असुविधा होती है।बाजपेयी के अनुसार, ऐसा देखा किया गया है कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान अक्सर यात्री अधिक सामान के साथ यात्रा करते हैं, जिससे अन्य यात्रियों को असुविधा होती है। इसलिए विशेष अभियान शुरू किया गया, ताकि लोगों को इस बारे में बताया और जागरूक किया जा सके कि यात्रा के दौरान कितना अधिकतम सामान ले जाया जा सकता है।नियमों के मुताबिक, स्लीपर क्लास के यात्री अपने साथ 40 किलोग्राम तक का सामान ले जा सकते हैं, जबकि सेकंड क्लास के यात्री अपने साथ 35 किलोग्राम तक का सामान बिना किसी अतिरिक्त फीस के ले जा सकते हैं।
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