विद्युत बिलों में सुधार के लिए कहां जायें उपभोक्ता? - Punjab Kesari
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विद्युत बिलों में सुधार के लिए कहां जायें उपभोक्ता?

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शिवपुरी: विद्युत मंडल द्वारा बिल वसूली करने का कार्य ठेकेदार को सौंप दिया गया है। वहीं विद्युत मंडल के कर्मचारियों का कार्य महज विद्युत लाईन में आने वाले खराबी को सुधारने तक सीमित रह गया है। ठेकेदार द्वारा इस माह विद्युत उपभोक्ताओं को दिए गएआंकलित बिलों में अनाप सनाप धनराशि दर्शायी गई है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा स्पॉट पर बिल देने वाली मशीनरी को खराब कर उपभोक्ताओं को आंकलित अनाप शनाप बिल थमा दिए गए हैं। जिससे उपभोक्ताओं में आक्रोश व्याप्त है।

जबकि न्यायालय द्वारा भी विद्युत विभाग को स्पष्ट आदेश दिए गए है किउपभोक्ताओं को आंकलित बिल न दिए जायें। लेकिन इसके बाबजूद भी उपभोक्ताओं को विभाग द्वारा आंकलित बिल दिए जा रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं को अधिक आर्थिक क्षति होना तय है।

बिलों पर सहायकयंत्री पाण्डे का नाम दर्ज क्यों? ः विद्युत विभाग द्वारा विद्युत बिलों की बसूली का कार्य जब ठेकेदार को सौंप दिया गया है। तब विद्युत बिलों पर सहायक यंत्री पाण्डे का नाम क्यों दर्ज किया जा रहा है? जबकि नियमानुसार विद्युत ठेकेदार का नाम बिलोंपर दर्ज होना चाहिए। एमपीईबी द्वारा गत दिनों एक शिविर का आयोजन बिलों में सुधारकरने के लिए किया गया था। जिसमें सहायक यंत्री अहम भूमिका रही।

जबकि श्री पाण्डे को इस शिविर में बैठने का कोई अधिकार ही नहीं था। जब विद्युत ठेकेदार द्वारा बिलदिए जा रहे हैं तब श्री पाण्डेय का इस शिविर में बैठने का क्या औचित्य होता है साथही विभाग के लोगों द्वारा भी शिविर में अहम भूमिका का निर्वहन किया गया था जबकि शिविर में विद्युत मंडल के कर्मचारियों का क्या मतलब रह जाता है?

आखिर मशीनरी में ऐसी क्या खराबी जो महिनों में नहीं सुधर सकी?
विद्युत विभागस्पॉर्ट पर ही उपभोक्ताओं को विद्युत बिल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हैण्ड मशीनप्रदाय की गई जिस पर लाखों रूपए का व्यय किया गया लेकिन ठेकेदार द्वारा विद्युत कर्मियों के माध्यम से शहर में प्रदर्शनी की तरह मशीनों को दिखाकर अपने कर्तव्य की इतिश्रीकर ली गई। अगले माह में ऐसा क्या हुआ कि इन मशीनों का प्रदर्शन ही बंद हो गया? ऐसा बताया गया है कि स्पॉट पर बिल देने वालीमशीनों के सॉफ्ट वेयर में ऐसी क्या खराबी आई जो महिनों में भी नहीं सुधर सकी। मशीनों में खराबी का बहाना लेकर लोगों को घरों पर बिल भी उपलब्ध नहीं करा पाए। जिसका परिणाम यह हुआ कि वसूली का आंकड़ा 8 करोड़ की जगह 5 करोड़ पर ही सिमट कर रह गया।

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