‘मेडे’ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इमरजेंसी सिग्नल है, जिसका इस्तेमाल जीवन को खतरे में देखकर किया जाता है. इसका प्रयोग मुख्य रूप से विमानों और समुद्री जहाजों में किया जाता है. जब कोई गंभीर तकनीकी समस्या, आग लगने या टकराव की संभावना जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो पायलट ‘मेडे, मेडे, मेडे’ कहकर अपना संदेश प्रसारित करता है.
Ahmedabad Plane Crash: गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में गुरुवार को एक गंभीर विमान दुर्घटना हुई है. एयर इंडिया की एक फ्लाइट अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, लेकिन टेकऑफ के तुरंत बाद हादसे का शिकार हो गई. इस विमान में लगभग 242 यात्री सफर कर रहे थे. डीजीसीए के मुताबिक, उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान ने एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) को “मेडे कॉल” भेजा, जो किसी भी आपात स्थिति में भेजा जाने वाला सिग्नल होता है. इसके बाद विमान ने किसी भी संपर्क का जवाब नहीं दिया और रनवे 23 से उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही एयरपोर्ट सीमा के बाहर जमीन पर गिर गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘मेडे’ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इमरजेंसी सिग्नल है, जिसका इस्तेमाल जीवन को खतरे में देखकर किया जाता है. इसका प्रयोग मुख्य रूप से विमानों और समुद्री जहाजों में किया जाता है. जब कोई गंभीर तकनीकी समस्या, आग लगने या टकराव की संभावना जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो पायलट ‘मेडे, मेडे, मेडे’ कहकर अपना संदेश रेडियो पर प्रसारित करता है. यह संकेत बाकी सभी संदेशों से अधिक प्राथमिकता वाला होता है और तुरंत प्रतिक्रिया की मांग करता है.
मेडे कॉल का स्वरूप
FAA (फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, मेडे कॉल का एक विशेष प्रारूप होता है. इस प्रारूप में निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:
1- ‘मेडे मेडे मेडे’ तीन बार लगातार बोली जाती है.
2-संबंधित एटीसी स्टेशन का नाम
3-विमान की पहचान या साइन
4-आपातकाल की प्रकृति (जैसे इंजन फेल होना या आग लगना)
5-उस समय का मौसम
6-पायलट की ज़रूरतें (जैसे आपात लैंडिंग)
7-वर्तमान स्थिति और ऊँचाई
8-बचा हुआ ईंधन
9-यात्रियों की संख्या
यह सारी जानकारी एक साथ दी जाती है ताकि मदद जल्द से जल्द मिल सके..
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मेडे कॉल की शुरुआत कैसे हुई?
‘मेडे’ शब्द की उत्पत्ति 1921 में हुई थी. लंदन में कार्यरत एक वरिष्ठ रेडियो अफसर फ्रेडरिक स्टेनली मॉकफोर्ड को एक ऐसे शब्द की आवश्यकता थी जो आपात स्थिति में सभी को तुरंत समझ में आए. चूंकि उस समय फ्रेंच और अंग्रेजी दोनों भाषाएं एविएशन में सामान्य थीं, इसलिए उन्होंने फ्रेंच शब्द ‘m’aider’ (मेरी मदद करो) से ‘मेडे’ शब्द गढ़ा.
इससे पहले आपात संकेत के रूप में ‘SOS’ या मोर्स कोड का इस्तेमाल होता था, लेकिन रेडियो संचार की सुविधा आने के बाद यह नया शब्द ज्यादा प्रभावी साबित हुआ.