कोविड-19 की मार देश के हर क्षेत्र में पड़ी है, यहां तक इससे भारतीय रेलवे भी अछूता नहीं रह पाया है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर यात्री ट्रेनों के परिचालन में कटौती और इनमें क्षमता से कम लोगों के सफर करने के कारण पश्चिम रेलवे को सालाना करीब 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने स्थानीय रेलवे स्टेशन पर संवाददाताओं को कहा कि कोविड-19 संकट के चलते हमें यात्री ट्रेनों के राजस्व के मामले में 5,000 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है।
कंसल के मुताबिक कोविड-19 के डर के कारण अब भी कई लोग रेल के सफर से हिचक रहे हैं। महाप्रबंधक ने बताया, अभी पश्चिम रेलवे की जो यात्री ट्रेनें चल रही हैं, उनमें से कुछ रेलगाड़ियों में तो कुल सीट क्षमता के केवल 10 प्रतिशत लोग ही सफर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से पहले पश्चिम रेलवे में करीब 300 यात्री ट्रेनें चलती थीं, लेकिन सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए पिछले साल मार्च के दौरान देश भर में यात्री ट्रेनें बंद कर दी थीं।
कंसल ने हालांकि कहा कि यात्री ट्रेनों का परिचालन अब तेज गति से पटरी पर लौट रहा है और इससे पश्चिम रेलवे के किराया राजस्व में सुधार की उम्मीद है। महाप्रबंधक ने बताया, गुजरे 11 महीनों के दौरान पश्चिम रेलवे ने अपनी करीब 300 यात्री ट्रेनों में से 145 रेलगाड़ियों को सिलसिलेवार तरीके से बहाल कर दिया है, यानी हमारी करीब 50 फीसद यात्री ट्रेनों का परिचालन फिर शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि पश्चिम रेलवे अगले सात दिनों के भीतर मध्यप्रदेश में छह और यात्री ट्रेनों का परिचालन बहाल करने जा रहा है।
कंसल ने हालांकि स्पष्ट किया कि फिलहाल पश्चिम रेलवे कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सभी यात्री ट्रेनों को विशेष रेलगाड़ियों के रूप में चला रहा है और महामारी की रोकथाम के लिए केवल आरक्षित टिकटों के आधार पर लोगों को इनमें सफर की अनुमति दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिम रेलवे ने पिछले साल कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान एक मई से 31 मई के बीच 1,234 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाकर करीब 19 लाख लोगों को अलग-अलग राज्यों में उनके गंतव्यों तक पहुंचाया था।