उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बताई जी20 को भारत की बड़ी सफलता, जाने और क्या-क्या कहा? - Punjab Kesari
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उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बताई जी20 को भारत की बड़ी सफलता, जाने और क्या-क्या कहा?

9 सितंबर और 10 सितंबर के बीच हो रहे जी-20 का समापन अब सफलतापूर्वक हो चुका है ।

9 सितंबर और 10 सितंबर के बीच हो रहे जी-20 का समापन अब सफलतापूर्वक हो चुका है । जी हां भारत ने  अब अपनी अध्यक्षता ब्राजील के हाथों में सौंप दी है। भारत में हुए जी-20 समारोह को लेकर देश-विदेश में काफी लंबी चर्चा हो रही है इस देश की काफी तारीफें भी की जा रही है साथ ही बताया जा रहा है कि जी-20 समारोह और जी-20 की अध्यक्षता करने वाला भारत इस समय काफी ऊंचाइयों को छू रहा है। इतना ही नहीं बल्कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का भी जी-20 को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है जहां उन्होंने g20 की अध्यक्षता को लेकर एक बड़ी बात कही उन्होंने कहा कि भारत के लिए ये एक काफी बड़ी सफलता थी। जी हां भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनकड़ ने भारत की g20 की अध्यक्षता को लेकर कहा कि यह भारत की सबसे बड़ी सफलता है यह एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरते भारत का विकराल रूप था। 
क्या कहा जगदीप धनखड़ ने? 
बता दे की बुधवार यानी की 13 सितंबर के दिन सप्रू हाउस में भारतीय विश्व मामलों की परिषद के अनुसंधान संकाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की भूमिका के लिए व्यापक सराहना किया है। साथ ही उन्होंने  जी-20 के समापन को लेकर जी-20 नेताओं की शिखर सम्मेलन की सफलता का भी उल्लेख किया है। बता दे की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा गया कि भारत इतिहास में एक निर्णायक क्षण में मौजूद है। उपराष्ट्रपति ने शोधकर्ताओं से लोगों को देश की उपलब्धियां से अवगत कराने का आग्रह किया है।  इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी कहा है कि आप देश के हर बाहरी व्यक्ति के लिए और दुनिया के हर भारतीय नागरिक के लिए एक ऐसी खिड़की हैं उज्जवल भविष्य को देखा जाता है।
वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कदम पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहीं यह बड़ी बात
वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारत की ‘फ्रैजाइल फाइव’ का हिस्सा बनने से लेकर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक की यात्रा का वर्णन किया। धनखड़ ने कहा कि भारत में हो रही कुछ उपलब्धियां एक समय दुनिया के लिए कल्पना से परे लगती थीं। उन्होंने विस्तार से बताया, “वे कभी सोच भी नहीं सकते किधर्म, जाति, पंथ और भाषा की विविधता वाले देश में ऐसा हो सकता है।”उन्होंने आईसीडब्ल्यूए के अनुसंधान विद्वानों से “भारत के बारे में समय-समय पर फैलाई जाने वाली हानिकारक, भयावह कहानियों” का मुकाबला करने में सबसे आगे रहने का आग्रह किया।

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