रायपुर : छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर में वेदांता समूह के धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक अस्पताल में बदलने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। विपक्षी दलों ने इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए है। वेदांता समूह के वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउन्डेशन को लगभग 10 वर्ष पूर्व अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त कैसर अस्पताल के निर्माण के लिए राजधानी के सड्डू इलाके में जमीन आवंटित की गई थी,और सीएसआर फंड से इसका निर्माण होना था।राज्य सरकार के साथ कम्पनी ने इसके लिए एमओयू भी किया था।
बाद में कम्पनी ने इस जमीन को कम बताते हुए सरकार से नया रायपुर में जमीन आवंटित करने का अनुरोध किया जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया। सूत्रों के अनुसार नया रायपुर विकास प्राधिकरण ने अस्पताल के लिए 34 एकड़ तथा वृक्षारोपण के लिए 17 एकड़ जमीन आवंटित की।समूह द्वारा अस्पताल के निर्माण में थोड़ काम शुरू कर उसे बढ़ने में रूचि लेना बन्द कर दिया।राज्य सरकार ने इसके बाद उसे कई नोटिस भी दिए।स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर ने गत दिसम्बर में कहा था कि अगर मार्च तक अस्पताल शुरू नही हुआ तो सरकार कड़ कार्रवाई करेंगी।
वेंदाता का अस्पताल तो आज से शुरू हो रहा है,लेकिन अन्तर इतना है कि वह व्यावसायिक अस्पताल है,और गरीबों का भी यहां इलाज मुफ्त में नही होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल,प्रदेश कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं राज्य के जाने माने चिकित्सक डा,राकेश गुप्ता एवं आम आदमी पार्टी ने वेदांता के धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक अस्पताल में बदलने तथा राज्य सरकार द्वारा उसे अनुमति देने पर गंभीर सवाल खड़ा किया है।उन्होने कहा कि सरकार कैसे सीएसआर मद से निर्मित होने वाले अस्पताल को दी गई जमीन के उपयोग को बदल सकती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने वेदांता केंसर अस्पताल को जमीन को तोहफे में राज्य सरकार पर देने का आरोप लगाते हुए कहा कि वेदांता को केंसर अस्पताल के लिये जमीन गरीबों का इलाज करने वाले केंसर अस्पताल के लिये थी। अब रमन सरकार ने उसे व्यावसायिक अस्पताल बनाने की अनुमति दे दी है और दूसरी ओर उस पर जुर्माना लगाना प्रचारित कर रही है।
सच यह है कि गरीबों के अस्पताल की जगह 34 करोड़ रूपए में अमीरों के अस्पताल के लिये वेदांता को बेच दी है। क्या 34 करोड़ उस जमीन की सही कीमत है ? इसका आकलन किससे करवाया गया? जिस संस्थान को गरीबों को केंसर का इलाज नहीं बनाने की सजा देनी थी उसे आप नई राजधानी में बेशकीमती जमीन का तोहफा दे रहे हैं ? उन्होने कहा कि वेदांता को पूर्व में 50 एकड़ जमीन एक रूपए में गरीबों के केंसर के ईलाज के नाम पर दी गई थी,अब धर्मार्थ की बजाय व्यवसायिक असप्ताल के लिए नयी राजधानी में वहीं 50 एकड़ जमीन 127 रूपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से दी गई है,जबकि लोगों को 600-700 रू वर्गफीट में घर बनाने के लिये भी जमीन नहीं मिल पा रही है।
उन्होने इसमें भारी भ्रष्टाचार का भी दावा किया। प्रदेश कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा.राकेश गुप्ता ने कहा कि वेदांता के साथ हुए सौदे के बारे में सरकार आधी अधूरी सूचनाएं दे रही है और बहुत कुछ ऐसा है जिसे छिपाया जा रहा है।उन्होने कहा कि सूचनाएं आई हैं कि वेदांता नया रायपुर में धर्मार्थ कैंसर अस्पताल का निर्माण सीएसआर यानी कॉर्पोरेट की सामाजिक त्रम्मिदारी के तहत की जा रही थी, ऐसे में इस अस्पताल को एकाएक व्यावसायिक कैसे घोषित किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को इस बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वेदांता को जमीन आवंटन रद्द होने के बाद जमीन पर निर्मित पूरी सम्पत्ति सरकार ने अधिग्रहित क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि जमीन को पुन: वेदांता अस्पताल मैनेजमेंट को सौंपे जाने के लिए क्या शासकीय प्रक्रिया अपनाई गई इसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की गई है।आम आदमी पार्टी(आप) ने भी धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक अस्पताल में बदलने की अनुमति पर सवाल उठाया है। आप के प्रवक्ता उचित शर्मा ने कहा कि वेदांता के साथ धर्मार्थ अस्पताल के निर्माण के लिए पूर्व में हुए एमओयू को गत 17 जनवरी को निरस्त किया गया और एमओयू निरस्त करने के बाद दो दिन पहले ही सरकार द्वारा 34 करोड जुर्माना भी किया गया।यह सब सरकार के वेदांता पर खास मेहरबान होने के साफ संकेत है।
हमारी मुख्य खबरों के लिए यहां क्लिक करे।