भोपाल: मध्यप्रदेश में अटल ज्योति योजना में 24 घंटे और कृषि क्षेत्र में 10 घंटे विद्युत प्रदाय सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके लिए जहां एक ओर विद्युत उपलब्धता को 2003 के बाद से राज्य में सिलसिलेवार ढंग से बढ़ाने के प्रयास किये गए हैं, वहीं 400 केव्ही, 220 केव्ही एवं 132 केव्ही उप केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जाकर ट्रांसमिशन लाइनों की क्षमता में वृद्धि की गई। यह जानकारी प्रमुख सचिव ऊर्जा आईसीपी केशरी ने उत्तरप्रदेश से आये ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में दी।
केशरी ने बताया कि मध्यप्रदेश में उप पारेषण एवं वितरण प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के लिए पिछले एक दशक में 33/11 केव्ही उपकेन्द्रों की संख्या दोगुने से अधिक हो गई है। इसका परिणाम है कि प्रदेश सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करा पा रहा है और कृषि क्षेत्र को 10 घंटे बिजली मिल रही है।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में जहां वर्ष 2003 में कृषि क्षेत्र में खपत 33 प्रतिशत थी, वह अब बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है और कृषि पम्पों की संख्या बढ़कर 28 लाख से भी अधिक हो गई है। उन्होंने बताया कि मप्र स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर को आधुनिक बनाया गया है और रियल टाइम डाटा प्राप्त करने के लिए आधुनिकतम आईटी बेस्ड प्रणाली लाई गई है। प्रमुख सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प योजना में अस्थाई कृषि पम्प को स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन में बदला जा रहा है।
रेवेन्यु मैनेजमेंट के लिए कुछ संभागों/वितरण केन्द्रों में मैनेजमेंट ऑपरेटर नियुक्त किये गए हैं। इस बीच उत्तरप्रदेश के ऊर्जा अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि उत्तरप्रदेश में बनारस सहित करीब आधा दर्जन शहरों में अंडर ग्राउंड केबलिंग का कार्य प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश में 40 लाख स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के परिसर में कॉलबेल लोकेशन पर लगाए जाएंगे, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग संबंधी शिकायतें दूर हो सकेंगी। उन्होंन प्री-पेड मीटर को ग्रामीण क्षेत्र की आवश्यकता बताते हुए कहा कि जल्दी ही ग्रामीण क्षेत्रों में प्री-पेड मीटर लगाये जाएंगे। उन्होंने बताया कि बिजली चोरी की रोकथाम के लिए 88 फ्लाइंग स्क्वाड बनाये गये है। बिलिंग दक्षता और राजस्व बढ़ाने की दिशा में कारगर कदम उठाये जा रहे हैं।