यूपी एटीएस ने टेरर फंडिंग के बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। एटीएस के महानिरीक्षक असीम अरुण ने बताया कि दस्ते ने कल गोरखपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश के रीवां में मारे गए छापों और पूछताछ के बाद 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। छापेमारी के दौरान 52 लाख रुपये, छह स्वाइप मशीनें और बड़ी संख्या में डेबिट कार्ड बरामद हुए हैं। 500 से ज्यादा संदिग्ध बैंक खाते भी पता चले हैं। वही इन लोगों ने भी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के लिए ‘टेरर फंडिंग’ में मदद का जुर्म कुबूल कर लिया है।
इन गिरफ्तारियों पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा कि कानून को अपने हाथ में लेने वाला कोई भी व्यक्ति प्रदेश में आजाद नहीं घूम पाएगा। उन्होंने कहा हि हम प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए किसी भी असमाजिक तत्व और अपराधियों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगे और उन्हें सलाखों को पीछे पहुंचाने के लिए हर प्रयास करेंगे। गिरफ्तार किए गए लोगों में से चार सीधे पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में थे। जिनमे से 9 लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि रीवा से गिरफ्तार उमाशंकर सिंह को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जा रहा है।
आईजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि टेरर फंडिंग नेटवर्क पाकिस्तान, नेपाल और कतर तक फैला हुआ है। सिमबॉक्स नेटवर्क की पड़ताल के दौरान इसके बारे में सुराग मिले थे। लाहौर से लश्कर का हैंडलर फोन व इंटरनेट के जरिए नेटवर्क के खास लोगों से संपर्क में रहता था। वह नेटवर्क के सदस्यों को फर्जी आईडी पर बैंक खाते खोलने के लिए कहता था। उसके निर्देश पर ही खातों में रकम ट्रांसफर की जाती थी। ये रकम स्लीपिंग माड्यूल व टेरर नेटवर्क से जुड़े संदिग्धों को भेजी जाती थी। इसके एवज में सदस्यों को 10 से 20 प्रतिशत तक का कमिशन दिया जाता है। यह रकम ऑनलाइन लॉटरी फ्रॉड, सिम बाक्स नेटवर्क के जरिए कमाई जाती है।
आईजी ने बताया कि गिरफ्तार 10 आरोपितों ने अपने बैंक खातों के जरिए पिछले कुछ महीनों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम इधर से उधर की है। खुफिया एजेंसियों की नजर से बचने के लिए ये लोग छोटी रकम का लेन-देन करते थे। इनके लैपटॉप, मोबाइल फोन व बैंक खातों की डिटेल से उन खातों की जानकारी जुटाई जा रही है, जिनमें पैसा भेजा गया। पाकिस्तानी हैंडलर के बारे में भी अहम सुराग मिले हैं। उसे ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है। हैंडलर इस नेटवर्क के अरशद नईम, मुशर्रफ अंसारी, संजय सरोज व उमा शंकर सिंह से सीधे संपर्क में था।
एक साल से एएसपी राजेश साहनी और सीओ मनीष सोनकर की टीमें इस नेटवर्क की पड़ताल कर रही थीं। आईजी ने बताया कि एटीएस को टेरर फंडिंग नेटवर्क का सुराग नवंबर 2016 में जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर से पकड़े गए सतविंदर सिंह और दादू से मिला था। ये लोग सेना की गुप्त सूचना मोबाइल एप के जरिए पाकिस्तान को दे रहे थे। इनकी आर्थिक मदद मध्य प्रदेश का बलराम करता था जो पिछले वर्ष गिरफ्तार हुआ।
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