बारह विपक्षी दलों ने असम मामले में कोविंद से की गुहार - Punjab Kesari
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बारह विपक्षी दलों ने असम मामले में कोविंद से की गुहार

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नई दिल्ली : बारह विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर मसौदे के मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए असम के किसी नागरिक का नाम इस सूची से वंचित न किये जाने की अपील की। पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौडा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने श्री कोविंद से गुरुवार दोपहर सवा एक बजे राष्ट्रपति भवन में मुलाकात कर इस मुद्दे पर उनका ध्यान इस ओर खींचा और एक ज्ञापन भी दिया। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने पत्रकारों को बताया कि श्री कोविंद ने मुला़कात के लिए निर्धारित समय से अधिक देर तक उनकी बातें सुनी और करीब आधे घंटे से अधिक समय तक उनकी बातों पर गौर से सुना।

प्रतिनिधिमंडल में ज्ञारह लोग शामिल थे। राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन में जनता दल सेक्युलर के अध्यक्ष देवगौड़ के अलावा कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल की मीसा भारती, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, द्रमुक के तिरुची शिव, माकपा के डी सलीम भाकपा के डी राजा, तेलगु देशम के वाई एस चौधरी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह तथा तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, और सुदीप बंदोपाध्याय के हस्ताक्षर शामिल हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि सत्तारूढ दल ने उच्चतम न्यायालय के खिलाफ भ्रामक बयान देकर देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की अवहेलना की है जबकि शीर्ष अदालत ने किसी भी नागरिक को इस सूची से वंचित करने को नहीं कहा है।

इस रजिस्टर से चालीस लाख लोगों के नाम हटायें गए हैं जिनमें बंगाली, असमी, बिहारी, राजस्थानी, गोरखा, मारवाड़, पंजाबी तथा उत्तर प्रदेश के लोग एवं दक्षिण भारत के लोग भी शामिल हैं। इस सूची में सैनिकों, पूर्व राष्ट्रपति तथा पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के लोगों के आलावा नागरिक समाज के कई प्रमुख लोगों का भी नाम नही है। यह सूची राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत तैयार की गयी है। उच्चतम न्यायालय ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के प्रदेश संयोजक और रजिस्टर जनरल को भी फटकार लगाई है। श्री ब्रायन ने यह भी कहा कि ज्ञापन में हमने राष्ट्रपति का ध्यान इस बात की ओर भी खींचा है कि इस रजिस्टर की घटना के बाद सत्तापक्ष संसद संविधान न्यायपालिका और मीडिया की अवहेलना कर उनका अवमूल्यन कर रहा है। इसलिए संविधान के रक्षक होने के नाते आप से अनुरोध है कि आप इसमें हस्तक्षेप कर किसी भी नागरिक का नाम इस सूची से वंचित न होने को सुनिश्चित करे।

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