आज लोकसभा में तीन तलाक़ पर बिल पेश होना था, लेकिन अब यह बिल अगले हफ्ते पेश किया जाएगा। क्योकि पेश किए जाने के पीछे कई अटकलें थीं। बिल पेश होने के दौरान बीजेपी ने इस अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। लोकसभा में संख्याबल को देखते हुए इस बिल को पास कराने में सरकार को ज़्यादा मुश्किल नहीं होगी।
बता दें कि लोकसभा से पास होने के बाद बिल राज्यसभा में जाएगा। तीन तलाक़ पर बिल को पिछले हफ़्ते ही केंद्रीय कैबिनेट की मंज़ूरी मिली थी। अगर यह विधेयक कानून बनता है तो इसके तहत तीन तलाक देने वाले को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
इस विधेयक पर 15 दिसंबर को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द कर दिया था। वैसे तो सरकार इस बिल को शुक्रवार को ही पेश करने की तैयारी में थी, लेकिन 2-जी मामले में सदन में विपक्ष के विरोध को देखते हुए इस अगले सप्ताह के लिए टाल दिया है। इस विधेयक के तहत एक बार में तीन तलाक को ‘गैरकानूनी और अमान्य’ करार दिया गया है। इसके मुताबिक एक बार में तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल की सजा होगी।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार पति पर जुर्माना लगाया जाएगा और जुर्माने की राशि मजिस्ट्रेट तय करेगा। महिला अधिकारों के पक्षधरों का कहना है कि सरकार की मंशा एक साथ तीन तलाक देने को अपराध घोषित कर मुसलमानों के मन में ‘डर पैदा’ करना है सरकार ने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा महिलाओं की गरीमा और उनके न्याय से जुड़ा हुआ है। इससे आस्था या धर्म का कोई संबंध नहीं है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन को बताया कि सरकार का मानना है कि यह मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है और इसमें आस्था और धर्म का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को अवैध करार दिया, लेकिन इसके बाद भी ऐसे 66 मामले सामने आए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक के बाद पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट का परीक्षण करेगा।
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