रायपुर : छत्तीसगढ़ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बयानों से विवाद खड़ा होने की आशंका है। वहीं बयानों को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के कवर्धा में चर्चा के दौरान उन्होंने कह दिया कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं। अगर आदिवसी हिन्दू होते हो वे कभी अपना धर्म परिवर्तन नहीं करते। राज्य में चुनावी साल में इस बयान का व्यापक असर पडऩे की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश में सभी राजनीतिक दल एक तरह से आदिवासी बेल्ट को लेकर गंभीरता बरतते रहे हैं। वहीं आदिवासियों को लेकर बयानबाजी पर भी एहतियात बरती जाती रही है। हालांकि द्वारिका पीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य ने यह भी कहा कि देश में संस्कृति की रक्षा नहीं करना भी बड़ा खतरा है। लोगों को संस्कृति का ही ज्ञान नहीं है। आदिवासी धर्मान्तरण में यकीन करते हैं इसलिए वे हिन्दू नहीं हो सकते। उन्होंने दोहराया कि संस्कृति का ज्ञान नहीं होने की वजह से ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं।
वहीं बलात्कार जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है। लोगों को जिस दिन संस्कृति का ज्ञान हो जाएगा उस दिन से ही देश से खतरा खत्म हो जाएगा। हालांकि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के सवाल पर उन्होंने दावा किया कि कोर्ट से केस जीतने के बाद भी कोई सरकार मंदिर नहीं बना सकती। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस हो मंदिर बनाना उनके बूते की बात नहीं है।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण केवल रामालय ट्रस्ट करा सकता है। राम मंदिर बनाना कोइ्र मुद्दा नहीं है लेकिन इसे बनाने के लिए आस्था होनी चाहिए। राजनीतिक दल के दावों के बाद भी उनकी आस्था नजर नहीं आती है। उन्होंने जोर दिया कि राम जन्मभूमि पर ही राम मंदिर बनना चाहिए। हालांकि इसके लिए कोर्ट से फैसला आने तक इंतजार करना होगा। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अयोध्या में मंदिर बनाने के नाम पर सरकार वाहवाही न लूटे।
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