Tirupati Laddu Dispute : तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में कथित मिलावट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वतंत्र विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि इस संवेदनशील मामले की जांच राजनीति से मुक्त और निष्पक्ष तरीके से हो सके। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला जन भावनाओं से जुड़ा हुआ है और इसे राजनीतिक ड्रामे में नहीं बदला जाना चाहिए।
Highlight :
- सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की जांच के लिए SIT का गठन किया
- चंद्रबाबू नायडू ने वर्तमान सरकार पर प्रसादम में मिलावट का आरोप लगाया
- एनडीडीबी की रिपोर्ट का खुलासा
स्वतंत्र एसआईटी का गठन
इस नए गठित एसआईटी में सीबीआई के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का एक अधिकारी शामिल किया गया है। जांच की निगरानी सीबीआई के निदेशक करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जांच की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
राजनीतिक आरोप
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में आरोप लगाया था कि वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के शासन के दौरान प्रसादम में मिलावट की गई है। उनके इस दावे ने राज्य की राजनीतिक हलचलों को और तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की जांच की आवश्यकता है, ताकि सच्चाई का पता चल सके।
एनडीडीबी की रिपोर्ट में खुलासे
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के तहत सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड लैब की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रसाद में न केवल घी का उपयोग किया गया, बल्कि जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का भी इस्तेमाल किया गया। यह प्रसाद भक्तों में बड़े पैमाने पर बांटा गया था, जिससे जन भावनाओं में और उथल-पुथल मच गई।
सुप्रीम कोर्ट की आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी भी तरह की राजनीतिक दबाव या प्रचार की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने कहा, हम नहीं चाहते कि यह एक राजनीतिक ड्रामा बने। यह करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला है। इस प्रकार, तिरुपति लड्डू विवाद ने न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित किया है, बल्कि राजनीतिक मोड़ भी ले लिया है। बता दें कि, अब इस मामले की जांच की प्रक्रिया का संचालन और उसकी प्रगति सभी की निगाहों में होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि तिरुपति मंदिर का प्रतिष्ठान और उसकी परंपराएं सुरक्षित रहें।
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