राजीव गाधी ओरांग राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ परियोजना से करीब 10 दिन पहले बाहर निकलकर पास के ही बोड़ो बाजार गांव एवं उससे सटे अंचलों में कोहराम मचा रहे बाघ को पकड़ने का प्रयास सप्ताहभर बाद भी जारी है। इस बीच बाघ द्वारा नित्य मवेशियों के शिकार किए जा रहे है। इसके चलते ग्रामीण भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि करीब 15 दिन पहले एक -दो ग्रामीणों को आभास हुआ कि रात में उनके गांव एवं खेत- खलिहान में पूर्ण वयस्क रॉयल बंगाल बाघ विचरण करता है ।
एक-दो ग्रामीणों ने रात्रि में बाघ को देखने का दावा भी किया । लेकिन लोगों ने विश्वास नहीं किया । तत्पश्चात रात्रि में मवेशी गायब होने लगे और मरे हुए मवेशी के अवशेष खेतों में मिलने शुरू हुए। इसके बाद ग्रामीणों ने खोजबीन शुरू की तो खेत– खलिहानों में बाघ के पंजे के निशान मिले । इसकी सूचना वन विभाग को दी गई । बाद में वन विभाग ने गांव में सीसीटीवी कैमरा लगाया तो दूसरे दिन उसमें बाघ चहलकदमी करते दिखा।
विशाल बाघ की फोटो देख वन विभाग उसे पकड़कर पुन: उधान में वापस के जाने की योजना बनाने लगा। इसी क्रम में बाघ को पिंजराबद्ध करने के लिए तीन स्थानों पर तीन -तीन पिंजरे लगाए और उसमें बकरी रख दिया । लेकिन पिंजरा लगाने के आज आठ दिन बाद भी हालत जस को तस है। बाघ पिंजरे की ओर नहीं आ रहा है लेकिन जांच में गाय-बकरी-सुअर को लगातार मारकर खा रहा है ।
इसके बाद वन विभाग ने हाथी की मदद से बाघ खोजने का अभियान शुरू किया, ताकि उसे बेहोश कर पकडा जा सके। लेकिन इस प्रयास में विभाग को अभी तक सफलता नहीं मिली है। इस संबंध में ओओरांग राष्ट्रीय उद्यान के रेंजर चक्रपाणि राय ने बताया कि बोड़ो बाजार एवं उसके पास के विशाल अंचल के साथ ही धनसिरी नदी के किनारे उगी झाडियां दिन में बाघ के छिपने के लिए सुरक्षित जगह हैं, जहां से बाघ को खोज पाना आसान नहीं है । लेकिन साथ ही कहा कि डाक्टरों की टीम के साथ वन विभाग लगातार बाघ को नियंत्रण में करने का प्रयास कर रहा है।
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