लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद मोदी सरकार राज्यसभा में इसे पास कराने की पूरी कोशिश में जुटी हुई है। बीते शुक्रवार को विपक्ष के हंगामे के कारण बिल पर चर्चा तक नहीं हो पाई थी। लेकिन संसद के उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तत्काल तीन तलाक से संबंधित विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया है।
राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं होने के कारण मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विपक्षी सदस्यों ने बिल में संशोधन के लिए नोटिस भी दिए हैं। सरकार ने पिछले हफ्ते लोकसभा में चार घंटों की बहस के बाद विपक्ष के वॉकआउट के बावजूद मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों की रक्षा) विधेयक 2018 पारित करा लिया था।
लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार को तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में सभी दलों से सहयोग मिलने की उम्मीद है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और तीन तलाक पर पिछला बिल भी विपक्ष के कारण अटक गया था। संख्याबल के हिसाब से राज्यसभा में सरकार का पक्ष कमजोर है।
अगर राज्यसभा में सदस्यों की बात करें तो मौजूदा समय में यूपीए के 112 सदस्य हैं जबकि एनडीए के पास 93 सदस्य है और एक सीट खाली है। इसके अलावा 39 सांसद ऐसे हैं जिनका यूपीए या एनडीए से संबंध नहीं है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में किसी बिल को पारित कराने के लिए 123 सदस्यों का समर्थन चाहिए। लेकिन एनडीए इस आंकड़े से दूर है।
गौरतलब है की कांग्रेस इस विधेयक का शुरू से विरोध करती चली आ रही है। विपक्ष के विरोध के कारण सरकार सोमवार को विधेयक पेश नहीं कर पाई। लोकसभा से पारित विधेयक में बदलाव के लिए राजग सरकार तैयार नहीं है। अब विपक्षी दलों के प्रवर समिति के पास भेजने के प्रस्ताव को देखते हुए राज्यसभा से इसके पारित होना मुश्किल लग रहा है।