प्रशांत महासागर और आस्ट्रेलिया के बीच एक खूबसूरत पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है। इस द्वीप पर करीब 11 हजार लोग रहते हैं। यहां रहने वाले लोगों के पास ज्यादा समय नहीं है, क्योंकि इनका देश समुद्र में डूबता के कगार पर है। यह देश 9 छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर बना है। इस द्वीप का नाम है तुवालू। तुवालू तीन रीफ द्वीपों और छह एटोल से बना है। तुवालू का कुल भूमि क्षेत्र 26 वर्ग किलोमीटर है। यह दुनिया का तीसरा कम जनसंख्या वाला संप्रभु देश है। इससे कम आबादी वाले देशों में केवल वेटिकन और नारु ही हैं।
जाने दुनिया का सबसे छोटा देश के बारे में
2017 की जनगणना ने निर्धारित किया कि तुवालू की जनसंख्या करीब 11 हजार थी जो इसे वेटिकन सिटी के बाद दुनिया का दूसरा सबसे कम आबादी वाला देस बनाता है और सबसे कम आबादी वाला देश है। तुवालू के पहले निवासी पोलिनेशियाई थे, जो लगभग तीन हजार साल पहले शुरू हुए पोलिनेशियाई लोगों के प्रशांत क्षेत्र में प्रवास के हिस्से के रूप में पहुंचे थे। केवल वेटिकन सिटी (0.44 वर्ग किमी), मोनाको (1.95 वर्ग किमी) और नारु (21 वर्ग किमी) इससे छोटे हैं।
कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अंदर था तुवालू
यह द्वीपीय देश 19वीं शताब्दी के अंत में यूनाइटेड किंगडम के प्रभाव क्षेत्र में आया। 1892 से लेकर 1916 तक यह ब्रिटेन का संरक्षित क्षेत्र और 1916 से 1974 के बीच यह गिल्बर्ट और इलाइस आईलैंड कालोनी का हिस्सा था। 1974 में स्थानीय रहवासियों ने अलग ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में रहने के पक्ष में मतदान किया। 1978 में तुवालू राष्ट्रकुल का पूर्ण स्वतंत्र देश के रूप में हिस्सा बन गया।
यहां रहना काफी चुनौतीपूर्ण
यह देश समुद्र के बीच आसमान सा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। लेकिन यहां के लोगों के सामने कई सारी चुनौतियां हैं। पहला तो यह समुद्र में डूब रहा है। दूसरा यहां पीने के पानी तक की समस्या है। तुवालूवासी सब्जियां उगाने के लिए वर्षा जल के टैंकों पर निर्भर हैं, क्योंकि खारे पानी ने भूजल को बर्बाद कर दिया है, जिससे फसलें प्रभावित हुई हैं।
डूबने से बचने के लिए दीवार बना रहा ये देश
फिलहाल, तुवालू समुद्र में समाने से पहले समय खरीदने की कोशिश कर रहा है। फुनाफ़ुटी पर बिगड़ते तूफान से बचाव से बचाव के लिए समुद्री दीवारें और अवरोध बनाए जा रहे हैं। तुवालू ने 17.3 एकड़ कृत्रिम भूमि बनाई है। इसके अलावा और भी ज्यादा कृत्रिम भूमि बनाने की की योजना बना रहा है, जिसके बारे में उसे उम्मीद है कि यह 2100 तक ज्वार से ऊपर रहेगी।
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