'उत्तर-दक्षिण का भेद नहीं, परिसीमन से सभी राज्यों को फायदा', राजनाथ सिंह का सीएम स्टालिन को जवाब - Punjab Kesari
Girl in a jacket

‘उत्तर-दक्षिण का भेद नहीं, परिसीमन से सभी राज्यों को फायदा’, राजनाथ सिंह का सीएम स्टालिन को जवाब

परिसीमन पर स्टालिन को राजनाथ सिंह का जवाब

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा परिसीमन को लेकर उठाए गए सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि स्टालिन को परिसीमन होने देना चाहिए और अगर कहीं कोई आपत्ति उठती है, तो उसे संबंधित मंच पर रखा जा सकता है। राजनाथ सिंह ने शनिवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए कहा, “परिसीमन के दौरान यह न समझा जाए कि केवल उत्तर भारत में ही सीटों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में भी लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। मुझे लगता है कि स्टालिन साहब को परिसीमन प्रक्रिया को पूरा होने देना चाहिए। यदि कहीं कोई आपत्ति है, तो वह इसे संबंधित मंच पर उठाकर समाधान पा सकते हैं। संबंधित फोरम इस पर विचार करेगा और न्यायसंगत निर्णय लेगा।”

रक्षा मंत्री ने आगे कहा, “मैं यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरे देश में, चाहे वह विधानसभा हो या लोकसभा, सीटों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। तमिलनाडु में भी सीटें बढ़ेंगी, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में और केरल में भी सीटें बढ़ेंगी। यह कहना कि केवल उत्तर भारत में सीटें बढ़ेंगी और दक्षिण भारत में नहीं, यह गलत होगा।”

राजनाथ सिंह ने देशवासियों को यह भी विश्वास दिलाया कि परिसीमन के दौरान किसी भी राज्य या क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर रक्षा मंत्री ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। मैं मानता हूं कि इसमें बहुत देरी हुई है, लेकिन इसके लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने तय किया कि यह बिल लाया जाना चाहिए और भारत में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। इससे सरकारी टैक्स की बहुत बचत होगी, लाखों करोड़ रुपए बचेंगे, मैं आपको सही आंकड़ा नहीं बता सकता लेकिन लाखों करोड़ रुपए बचेंगे।’

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “दूसरी बात यह है कि चुनाव लड़ने में बहुत समय खर्च होता है, कभी पंचायत के चुनाव होते हैं, कभी शहरी निकायों के चुनाव होते हैं, कभी नगर निगम के, कभी एमएलए के चुनाव होते हैं, कभी एमपी के चुनाव होते हैं, कभी जिला बोर्ड के चुनाव होते हैं, कभी जिला पंचायत के चुनाव होते हैं, ऐसे में एक निश्चित समय में यह तय हो जाएगा कि लोकसभा, विधानसभा के चुनाव एक साथ हों और अगर हमारे स्थानीय निकायों के चुनाव भी एक साथ हों तो बहुत सारा पैसा और समय बचेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।