अभिव्यक्ति की आज़ादी की कसक... - Punjab Kesari
Girl in a jacket

अभिव्यक्ति की आज़ादी की कसक…

पुलिस को अभिव्यक्ति की आजादी समझने की जरूरत

भारतीय संविधान अपने 75 वर्ष पुरे कर चुका हैं ये समय किसी देश के लिए उसके संवैधानिक मूल्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए काफी होता है. किन्तु हालिया मामलों में देखा गया की राज्यों की पुलिस तक वाक् एवं अभिव्यक्ति की आजादी जैसे संविधान के मूलभूत आधारों को समझने में नाकाम रही हैं. सर्वोच्च न्यायलय ने हाल ही में एक टिप्पणी की, कि पुलिस को तो कम से कम अभिव्यक्ति की आजादी को समझना चाहिए। ये कोई पहली बार नहीं हैं, जब अदालतें पहले भी इस तरह की फटकार लगाती आई हैं। आये दिन देखा जा सकता है कि किसी दृश्य, राजनेता का बयान, साहित्य आदि से लोगों की भावना आहात होने के आरोप लगते हैं और मामले को सोशल मीडिया पर यहां तक खींचते की दंगों की स्थिति तक पैदा हो जाती है।

हालियाँ मामला तब सामने आया जब कांग्रेस सांसद इमरान प्रताप गड़ी की एक शादी समारोह में कही कविता को लेकर उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा व गुजरात पुलिस ने मुक्क्दमा दायर कर लिया। वर्तमान में देखा ये जा रहा कि कुछ गिने चुने लोगों के बयानों पर भावना आहात होती हैं, और कानूनी कार्यवाही होती हैं। जबकि वही उलट स्थिति में कुछ विशेष लोगों जैसे छूट प्राप्त हो, आये दिन धर्म, जाति, देशभक्ति, आस्था की आड़ में कुछ भी बोलते हैं। पुलिस का रवैया पक्षपातपूर्ण होता हैं, ऐसे में सर्वोच्च न्यायलय की ये टिप्पणी अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 + 3 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।