संस्कृति मंत्रालय की वैश्विक जुड़ाव योजना का उद्देश्य महाराष्ट्र सहित भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना और भारत की वैश्विक छवि को बढ़ाना है। योजना के प्रमुख उद्देश्यों में विदेशी राष्ट्रों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना, द्विपक्षीय सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ावा देना, विश्व मंच पर भारत की सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत करना और अंतर्देशीय पर्यटन को प्रोत्साहित करना शामिल है। वैश्विक जुड़ाव योजना का प्रशासन विदेश स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से किया जाता है और इसके निम्नलिखित तीन घटक हैं.
भारतीय कला रूपों का अभ्यास करने वाले कलाकारों को ‘भारत महोत्सव’ के बैनर तले विदेशों में प्रदर्शन करने का अवसर दिया जाता है। लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक रंगमंच और कठपुतली, शास्त्रीय और पारंपरिक नृत्य, प्रयोगात्मक/समकालीन नृत्य, शास्त्रीय/अर्ध शास्त्रीय संगीत, रंगमंच आदि लोक कला जैसे विविध सांस्कृतिक क्षेत्रों के कलाकार विदेशों में ‘भारत महोत्सव’ में प्रदर्शन करते हैं।
भारत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) का सदस्य देश है और यूनेस्को के कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक सम्मेलनों का हिस्सा है, जैसे 1972 विश्व विरासत सम्मेलन, 2003 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सुरक्षा संबंधी सम्मेलन, 2005 सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विविधता के संरक्षण और संवर्धन पर सम्मेलन, यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (यूसीसीएन), मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड (एमओडब्ल्यू) कार्यक्रम। भारत सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण और पुनरुद्धार के अध्ययन के लिए बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीसीआरओएम) और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) जैसे अंतर-सरकारी संगठनों का भी सदस्य है।