डुप्लीकेट एपिक कार्ड के मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए : मनोज झा - Punjab Kesari
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डुप्लीकेट एपिक कार्ड के मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए : मनोज झा

मतदाता पहचान पत्रों की डुप्लीकेशन पर राज्यसभा में हंगामा

राज्यसभा में मतदाता फोटो पहचान पत्रों के डुप्लीकेशन का मुद्दा उठाते हुए, मनोज झा ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव का महत्व खोखला नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से डुप्लीकेट एपिक कार्ड की तुरंत जांच की मांग की, जिससे चुनाव की निष्पक्षता बनी रहे।

मतदाता फोटो पहचान पत्रों के डुप्लीकेशन का विषय बुधवार को राज्यसभा में उठाया गया। राज्यसभा में बोलते हुए राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा कि फ्री एंड फेयर यानी निष्पक्ष चुनाव केवल कोई खोखली बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक भाव है, एक दर्शन है। उन्होंने कहा कि एपिक कार्ड (वोटर आईडी कार्ड नंबर) के डुप्लीकेशन को लेकर जो चीजें हो रही हैं, वह सबके लिए चिंता का विषय है। लाखों की संख्या में ऐसे कार्ड पाए गए हैं, जिनकी वजह से चुनाव की निष्पक्षता से समझौता हो रहा है। एक राज्य जिसका दूसरे राज्य से बॉर्डर लगता है, वहां यह डुप्लीकेशन हो रहा है।

उपसभापति की अनुमति से उठाए गए विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि एपिक कार्ड के पहले तीन अक्षर संबंधित विधानसभा क्षेत्र की जानकारी देते हैं। लेकिन, ऐसा पाया गया है कि उसी राज्य की अलग विधानसभा क्षेत्र में भी एपिक कार्ड के उन्हीं तीन अक्षरों की पुनरावृत्ति हो रही है। ऐसा अलग-अलग राज्यों में हो रहा है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र चुनाव पर जिंदा है, यदि चुनाव की पद्धति और प्रक्रिया से समझौता किया जाएगा, उसमें से धोखाधड़ी की बू आएगी तो कुछ भी नहीं बचेगा। उनका केवल इतना आग्रह है, सदन की ओर से यह गंभीर सवाल जाना चाहिए कि चुनाव आयोग यह तय करे कि डुप्लीकेट एपिक कार्ड के मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि पता लगाना चाहिए कि यह धोखाधड़ी कहां से शुरू हुई। इसे सही करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। इसके साथ-साथ चुनाव आयोग एक अतिरिक्त मतदाता सूची जारी करे, जिसमें जानकारी दी जाए कि किन मतदाताओं के नाम काटे गए, किन मतदाताओं के नाम जोड़े गए और मतदाता सूची में क्या बदलाव किए गए।

इससे पहले राज्यसभा में कई सांसदों ने नियम 267 के तहत इसी मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी, जिसे उपसभापति ने अस्वीकार कर दिया था। नियम 267 के तहत बहस के दौरान सदन की अन्य सभी कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है और पूरे समय संबंधित विषय पर बहस की जाती है।

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