खनौरी बॉर्डर पर किसानों का संघर्ष पिछले कुछ समय से जारी है वहीं, अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत पर राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि वह 30 दिनों से अनशन पर बैठे हैं और जब वह इतने दिनों तक अनशन करेंगे तो उनकी सेहत खराब ही होगी। डल्लेवाल के अनशन को लेकर यह उनकी कमेटी और उनका स्वयं का निर्णय है। किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, सिख समाज शहीदी से पीछे नहीं हटता है, यह भी इनकी खासियत है और डल्लेवाल इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि या तो भारत सरकार उनकी मांगों को पूरा करें, नहीं तो वह वापस नहीं जाएंगे।
अपनी मांगों पर अड़े किसान
मेरे या किसी और दूसरे के बोलने से कि अनशन खत्म कर दो, यह निर्णय व्यक्ति के विचारों का होता है। हमें नहीं लगता कि वह अब अनशन से पीछे हटेंगे। उन्हें किसी ने जबरदस्ती नहीं बैठाया है और यह उनका खुद का निर्णय है। राकेश टिकैत ने कहा, उनके पास आगे का भी प्लान है। अगर वह शहीद हो जाते हैं, तो उनकी जगह कोई और शख्स अनशन पर बैठ जाएगा। अगर दूसरा शहीद होता है, तो तीसरा बैठेगा। इस मामले में संज्ञान सरकार को लेना है। उन्होंने कहा कि जब 750 लोगों के शहीद होने के बाद किसान वापस नहीं हुए, तो अब डल्लेवाल अनशन के दौरान इस स्थिति में पहुंच गए कि वहां से वापसी तभी संभव है, जब भारत सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। सरकार को कमेटी से बातचीत करनी चाहिए और अगर समझौता हो जाए तो उसे भी करना चाहिए।
किसान नेता डल्लेवाल का अनशन जारी
मैं खुद उनसे मुलाकात करने के लिए गया था और उनसे बातचीत भी हुई थी। राकेश टिकैत ने कहा, डल्लेवाल का अनशन भी आंदोलन का हिस्सा है। मेरा मानना है कि जान कीमती होती है, लेकिन भूख हड़ताल भी आंदोलन का हिस्सा है और इसका समय-समय पर आंदोलन में इस्तेमाल किया गया है। विपक्ष के हाथ में कुछ नहीं है, उन्हें सिर्फ अपनी जान बचानी है। वह कहते हैं कि संसद में आवाज उठाई गई और सुप्रीम कोर्ट तक भी आवाज पहुंची। कोर्ट ने भी कहा है, लेकिन संज्ञान तो भारत सरकार को लेना है। यह आंदोलन पांच महीने और चलेगा, जब 15 महीने आंदोलन हो जाएंगे, तब यह समाप्त होगा।