पटना : आजादी के 70 वर्षों बाद भी किसान आज फटेहाली जीवन जीने को मजबूर हैं। इनके द्वारा उपज किये जाने वाले फसलों का लागत मूल्य भी नहीं मिलता। राज्य सरकार द्वारा कृषि रोड मैप बनाया गया, लेकिन किसानों को उसका सही लाभ नहीं मिला रहा है।
उक्त बातों की जानकारी भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता जयप्रकाश चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी। प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने से किसानों को वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं उर्वरकों के बढ़े दाम व समय पर नहीं मिलना किसानों की कमर तोड़कर रख देती है।
एक तरफ सरकार किसान हित में काम करने की बातें करती है। वहीं दूसरी तरफ देश के सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या किया। किसानों के समक्ष सबसे विकट समस्या उस समय उत्पन्न हो जाती है जब उनके बच्ची की शादी व परिवार के किसी सदस्य गंभीर बीमार से ग्रसित हो जाता है।
किसान प्रतिवर्ष प्रकृति के साथ जुआ खेलती है। कर्ज लेकर खेती करते हैं लेकिन फसलों में दाना नहीं लगने से उनके समक्ष भूखमरी की नौबत आ जाती है। जिस तरह घर में बहू लाने के लिए बेटियों को बचाना जरूरी है ठीक उसी तरह रोटी के लिए किसानों की जरूरत है।
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