सुप्रीम कोर्ट का लोकपाल बिल पर स्टे, न्यायपालिका में आंतरिक तंत्र की मांग - Punjab Kesari
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सुप्रीम कोर्ट का लोकपाल बिल पर स्टे, न्यायपालिका में आंतरिक तंत्र की मांग

न्यायपालिका स्वतंत्र के साथ ही पारदर्शिता होनी चाहिए

भाजपा नेता और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकपाल बिल पर स्टे के आदेश के बाद कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आंतरिक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। उज्ज्वल निकम ने कहा कि हमारी न्यायपालिका की खूबसूरती यह है कि यह स्वतंत्र है, लेकिन साथ ही पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर लोगों को किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की कार्यशैली या आचरण पर संदेह है, तो मुझे लगता है कि हमें एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जो उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट का आंतरिक तंत्र हो सकता है।

लेकिन जनता को यह भी महसूस होना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यही कारण है कि लोकपाल को ऐसे जांच करने का अधिकार दिया गया है। अगर यह अधिकार हटा लिया जाता है, तो आम आदमी का विश्वास टूट जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह प्राथमिक दृष्टिकोण है कि लोकपाल द्वारा शिकायतों की जांच करना आम आदमी का न्यायपालिका पर विश्वास तोड़ सकता है। किसी भी देश की स्थिरता दो बातों पर निर्भर करती है – पहला, उस देश की मुद्रा पर आम आदमी का पूर्ण विश्वास और दूसरा, उस देश की न्यायपालिका पर आम आदमी का विश्वास।

अगर लोकपाल द्वारा जांच करने से यह विश्वास टूट जाता है, तो यह संभावित खतरा हो सकता है। इसलिए हमारे संविधान में इस मामले में अत्यंत सावधानी बरती गई है। हमें एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें ऐसी शिकायतों की विस्तार से जांच की जा सके।

उन्होंने कांग्रेस के पूर्व सांसद हुसैन दलवई के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने औरंगजेब को एक अच्छा शासक बताया था। उज्ज्वल निकम ने कहा कि यह दुखद है कि कांग्रेस के पूर्व सांसद ऐसे बयान दे रहे हैं। मुझे लगता है कि उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है, इसलिए वे ऐसे तर्कहीन बयान दे रहे हैं। जो लोग इतिहास पढ़ चुके हैं, वे जानते हैं कि औरंगजेब किस प्रकार का शासक था और छत्रपति शिवाजी महाराज तथा संभाजी महाराज किस प्रकार के राजा थे। महाराष्ट्र में रहते हुए ऐसा आलोचनात्मक बयान देना, यह दर्शाता है कि उन्हें इतिहास का पुनः अध्ययन करना चाहिए।

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