सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 12 राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि वे लोकायुक्तों की नियुक्त नहीं होने के कारणों से उसे अवगत कराएं। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने ओडिशा के मुख्य सचिव से यह भी कहा कि वह राज्य में लोकायुक्त की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराये। पीठ ने कहा कि राज्य में कोई लोकायुक्त है या नहीं, इसे लेकर शीर्ष न्यायालय के पास कोई जानकारी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 राज्यों के मुख्य सचिवों से पूछा है कि आपके राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है, इसकी जानकारी 2 हफ्ते के अंदर कोर्ट को बताएं। सुप्रीम कोर्ट ने जिन 12 राज्यों को निर्देश दिए हैं, उनमें दिल्ली, अरुणाचल, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, पुड्डुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडू, तेलंगाना, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा शामिल हैं।
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम की धारा 63 के अनुसार , हर राज्य एक संस्था की स्थापना करेगा, जिसे लोकायुक्त के नाम से जाना जायेगा। सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें लोकायुक्तों के प्रभावी कामकाज के लिये पर्याप्त बजटीय आवंटन एवं जरूरी बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के संबंध में राज्यों को निर्देश देने की मांग की गयी थी।
वकील एवं दिल्ली भाजपा के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका के अनुसार लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को एक जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति की सहमति मिल गयी थी, लेकिन कार्यपालिका ने अब तक लोकपाल का गठन नहीं किया है।
टिप्पणिया याचिकाकर्ता के अनुसार कई राज्य सरकारें जरूरी बुनियादी ढांचा, पर्याप्त बजट एवं कार्यबल उपलब्ध नहीं कराकर ‘जानबूझकर लोकायुक्त को कमजोर’ कर रही हैं।
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