सुप्रीम कोर्ट ने करा देश के नाम बदलने की याचिकाओं पर विचार करने से इनकार , कहा ये करने का आदेश नहीं दे सकता - Punjab Kesari
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सुप्रीम कोर्ट ने करा देश के नाम बदलने की याचिकाओं पर विचार करने से इनकार , कहा ये करने का आदेश नहीं दे सकता

देश में पिछले दिनों से एक और विवाद काफी उमड़ कर सामने आ रहा है और वो है

देश में पिछले दिनों से एक और विवाद काफी उमड़ कर सामने आ रहा है और वो है देश का नाम बदलने का मामला।  जी हाँ भारत के संविधान के पहले अनुच्छेद के पहले खंड में कहा गया है, इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा। वहीँ ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार 18-22 सितंबर को होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान संविधान में संशोधन करने या भारत को देश का आधिकारिक नाम बनाने के लिए एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
कब से शुरू हुआ ये मामला ? 
ये मामला तब से शुरू हुआ जबसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जी-20 विश्व नेताओं को एक आधिकारिक भोज के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद अटकलें शुरू हो गईं, जिसमें उन्हें प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय प्रेसीडेंट ऑफ भारत के रूप में संबोधित किया। 2015 में, महाराष्ट्र स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सभी आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए ‘भारत’ नाम का उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि संविधान सभा की बहस के दौरान हमारे देश के लिए भारत, हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमि, भारतवर्ष आदि जैसे महत्वपूर्ण नाम सुझाए गए थे, क्योंकि ‘इंडिया’ शब्द ब्रिटिश शासन के दौरान लिया गया था।
हिंदी में कह सकते हैं भारत का राष्ट्रपति !
एक अन्य विशेषज्ञ, लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचार्य की राय इससे उलट है. उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार देश को दिया गया नाम ‘इंडिया’ है, उन्होंने कहा कि ‘भारत’ का इस्तेमाल एक दूसरे के स्थान पर नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे  भ्रम पैदा होगा। उन्होंने आगे कहा, संयुक्त राष्ट्र में हमारे देश का नाम ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ है न कि ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’। संविधान में कहीं भी ‘भारत’ का इस्तेमाल नहीं किया गया है।उन्होंने आगे कहा की संसद कह सकती है कि इस देश को ‘भारत’ के नाम से जाना जाएगा। संसद के पास संवैधानिक संशोधन के माध्यम से ऐसा करने की शक्ति है।” लेकिन अनुच्छेद 52 के तहत पद पर रहने वाला आधिकारिक तौर पर ‘इंडिया का राष्ट्रपति’ है, न कि ‘भारत का राष्ट्रपति’, लेकिन हिंदी में कहें तो यह ‘भारत के राष्ट्रपति’ हैं। 
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ? 
इसपर बाद में  सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि वह सरकार को ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने का आदेश नहीं दे सकता, साथ ही कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 में इंडिया को पहले से ही भारत कहा गया है। 3 जून, 2020 को पारित अपने आदेश में, तत्कालीन सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिया कि याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने का निर्देश दिया जाता है और उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है 

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