सुप्रीम कोर्ट विवाद पर सियासत तेज, कांग्रेस-भाजपा में वाकयुद्घ - Punjab Kesari
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सुप्रीम कोर्ट विवाद पर सियासत तेज, कांग्रेस-भाजपा में वाकयुद्घ

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विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को लेकर उसके चार न्यायधीशों द्वारा उठाए गए मुद्दों की ‘गहन जांच की मांग की जिसे लेकर भाजपा ने उन पर न्यायपालिका के ‘आंतरिक मामलों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यायाधीशों की ओर से जतायी गयी चिंता को ‘बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए न्यायमूर्ति बी एच लोया की रहस्यमत मौत की जांच की भी मांग की। लोया की मौत 2014 में तब हुई थी जब वह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे लेकिन बाद में बरी हो गए।

 

राहुल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि चारों न्यायाधीशों ने बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है। इन पर गहराई से ध्यान देने की जरूरत है।

भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर न्यायपालिका के आंतरिक मामलों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘देश के राजनीतिक दल न्यायिक कार्यक्षेत्र के बाहर राजनीति कर रहे हैं, वे न्यायपालिका के आंतरिक मामलों को घसीटने की कोशिश कर रहे हैं और उसका राजनीतिकरण कर रहे हैं जोकि नहीं होना चाहिए।

माकपा महासचिव सीताराम येुचरी ने कहा कि यह समझने के लिए गहन जांच की जानी चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता किस तरह से ‘प्रभावित हो रही है।

पूर्व राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने इसे लोकतंत्र के लिए एक ‘काला दिन बताते हुए कहा कि पहली बार उच्चतम न्यायालय के निवर्तमान न्यायाधीशों को अपनी शिकायतें रखने के लिए मीडिया के सामने बोलना पड़ा।

मालूम हो कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल रहे। चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी।

उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि अगर हमने देश के सामने ये बातें नहीं रखी और हम नहीं बोले तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। हमने चीफ जस्टिस से अनियमितताओं पर बात की। उन्होंने बताया कि चार महीने पहले हम सभी चार जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था। जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे।

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