हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से खास बातचीत - Punjab Kesari
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हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से खास बातचीत

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्यपाल ने सुझाए सुधार के उपाय..

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ला से हाल ही में मेरी विशेष बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने प्रदेश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी। इस साक्षात्कार में उन्होंने राज्य में नशामुक्ति अभियान, शिक्षा, कौशल विकास और प्रशासनिक कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही, उन्होंने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सरकार की विभिन्न योजनाओं को लेकर अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की। यह साक्षात्कार प्रदेश की प्रगति और आम जनता की भलाई से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को समझने का एक अनूठा अवसर रहा।

राजयपाल की भूमिका को औपचारिक माना जाता है, लेकिन आप पूरी तरह से विकास कार्यों में भाग लेते आए हैं, इसको आप कैसे देखते है ?

राज्यपाल वास्तव में केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर रहता है। हिमाचल एक ऐसा प्रदेश है जो पहाड़ी प्रदेश है। जी, पहाड़ी प्रदेश होने के नाते उसका लगभग 80% विकास का खर्च तो केंद्र सरकार स्वयं देती है। जिसका परिणाम यह है कि एक राज्यपाल के नाते मेरी यह भूमिका बनती है कि मैं केंद्र सरकार के दिए गए पैसे की समीक्षा करूं कि उसका सही ढंग से खर्च हो रहा है या नहीं। विकास का काम करने का कार्य तो राज्य सरकार का होता है। मेरा काम सिर्फ इतना होता है कि राज्य सरकार कहीं उस पैसे का, जिस मद में दिया गया है, डायवर्जन तो नहीं कर रही है। सामान्यतः केंद्र सरकार अब सचेत हुई है और वह संबंधित पैसे को जिस मद का होता है, सीधे उसके खाते में दे रही है। अन्यथा, उस पैसे का उपयोग लोग अपने ट्रेजरी में लेते हैं और ट्रेजरी में लेने के बाद जितना आवश्यक होता है, वह खर्च करते हैं। कभी-कभी तो केंद्र सरकार के दिए गए पैसे खर्च ही नहीं होते हैं, पड़े रहते हैं। तो उनके ट्रेजरी में तो दिखता है कि हमारा कितना फायदा है। हमारा काम इतना होता है कि वो डेफिसिट में भी न रहे। लेकिन राज्य सरकार को जो दिया गया है केंद्र सरकार से पैसा, उसका उचित मद में उचित तौर पर उपयोग हो। शेष काम तो राज्य सरकार ही करती है, विकास का काम वही करती है, राज्यपाल नहीं करता है और मैं करता भी नहीं हूं। लेकिन समीक्षा जरूर करता हूं ताकि केंद्र के पैसे का भरपूर उपयोग राज्य के जनता के हित के लिए हो।

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हिमाचल प्रदेश पर्यटन के लिए प्रसिद्ध डेस्टिनेशन है, पर्यटन को अधिक बढ़ावा देने के लिए क्या बदलाव होने चाहिए ?

टूरिज्म के पर्पस से देखा जाए, अब देखो है क्या। हिमाचल तो सचमुच टूरिज्म के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। लोग आते हैं। एक शब्द है “दोहन”। जी, टूरिज्म के दृष्टि से आए हुए लोगों को सही ढंग से समुचित दोहन किया जाए, जो राज्य के हित के लिए भी हो और टूरिस्ट के हित के लिए भी हो। वही टूरिज्म पनपता है। बीच के क्रम में थोड़ी सी गड़बड़ी हुई थी, जी, और वह गड़बड़ी प्राकृतिक दृष्टि से हुई थी, जिसके नाते टूरिस्ट डाइवर्ट हुए थे जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर। लेकिन अब फिर हिमाचल की तरफ आए हैं, तो मुझे लगता है कि हिमाचल की तरफ आए तो वह टूरिस्ट पूरी तौर पर हिमाचल को लाभ देने का काम करते हैं, प्रदेश को लाभ देने का काम करते हैं। हां, मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि हिमाचल के जो लोग हैं, वह उन टूरिस्ट के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं करते हैं। यह सबसे बड़ा सुखद है, जो किसी टूरिस्ट सेंटर के लिए होना चाहिए। तो मैं संतुष्ट हूं कि निश्चित रूप से जो टूरिस्ट जाते हैं, वह संतुष्ट होकर ही आते हैं।

दुनिया काफी आगे बढ़ रही है, लेकिन रोड्स की कनेक्टिविटी फिर भी थोड़ी कम है, इस पर आपको लगता है कि थोड़ा और काम होना चाहिए ?

मुझे लगता है कि अन्य प्रदेशों के सापेक्ष पहाड़ी प्रदेशों के सापेक्ष हिमाचल में सड़कों की कनेक्टिविटी बेहतर है। अच्छे, बहुत इंटीरियर तक सड़कें हैं, लेकिन फिर भी पूरी तरह से पहाड़ी प्रदेश होने के नाते मैं नहीं कह सकता कि हर जगह है। लेकिन फिर भी सामान्य तौर पर जहां-जहां जाने के साधन होने चाहिए, वहां हिमाचल में हैं। अभी कल ही मैं एक स्थान पर गया था, एक ओम स्वामी जी का स्थान है। मैंने पाया कि वहां कनेक्टिविटी होनी चाहिए। बहुत बीहड़ की स्थिति जैसी स्थिति थी। तो कल मुझे ये लगा। पहले मैं ये कहा करता था कि हिमाचल तो इसमें बहुत आगे है, लेकिन कल उसे देखने के बाद मुझे लगा कि नहीं, अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। तो अन्य जगहों की अपेक्षा अधिक है, फिर भी हिमाचल में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

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हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाए आती है, इसके प्रबंध को मजबूत करने के लिए क्या एक्शन प्लान होना चाहिए ?

लैंड स्लाइड इत्यादि के लिए इस समय वह लोग प्रबंध कर रहे हैं जो कच्ची पहाड़ी है। कच्ची पहाड़ी होने के नाते यह लगता है कि पहाड़ी धीरे-धीरे मिट्टी खिसकाती है, तो वो नुकसान करती है। रोड को भी नुकसान करती है, लोग जा रहे हैं, वाहनों को भी नुकसान करती है और पैसे का नुकसान तो स्वाभाविक रूप से होता ही है क्योंकि सड़क कट जाती हैं। तो उसका प्रबंध कर रहे हैं पहाड़ियों को ढकने का काम कर रहे हैं मुख्य मार्गों को ताकि अगर मिट्टी खिसके तो उसी में उलझ जाए, जिससे नीचे ना आ सके। एक यह काम रोड ऑर्गेनाइजेशन कर रहा है और चूंकि रोड ऑर्गेनाइजेशन का काम केंद्र सरकार के द्वारा ही होता है क्योंकि राज्य सरकार के पास इतना संसाधन नहीं होता है कि वह अपने तौर पर इसे कर सके। यह केंद्र के ही पैसे का होता है। तो मैं केंद्र सरकार को इसके लिए धन्यवाद देना चाहूंगा, प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहूंगा, गडकरी जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने पिछली बार जो हिमाचल में घटना घटी, उसे देखते हुए पहले से सतर्कता बढ़ाते हुए काम कर रहे हैं।

आपके शुरुआती दौर की बात करे तो, आपने राजनीति में कदम कब रखा ?

मुझे लगता है कि मैं विद्यार्थी राजनीति से था। विद्यार्थी राजनीति में विद्यार्थी परिषद से मेरा संबंध था। जी, विश्वविद्यालय की राजनीति में था। एक और ऐसा दौर आया जब देश में इमरजेंसी का दौर था, जिसमें मैं 20 महीने तक लगातार जेल में रहा। मिसा के अंतर्गत बाहर आया तो फिर विद्यार्थी परिषद का काम करता रहा। भारतीय जनता पार्टी से मेरा संबंध 1983 में हुआ। 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार मुझे गोरखपुर से टिकट दिया और मैं चुनकर विधानसभा में गया। तब से चार बार रहा और 2002 तक रहा। 2002 में चुनाव हारा भी, लेकिन फिर हम संगठन का काम करते रहे। संगठन का काम करते-करते 2016 में मुझे राज्यसभा में भेज दिया। 2017 में केंद्रीय मंत्री हो गया, अत: राज मंत्री। अब जाकर, पिछले दो वर्षों से मैं हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल हूं। तीसरा वर्ष चल रहा है। तो यह राजनीतिक सफर है। जी, और मुझे लगता है कि मैं एक विचारधारा का पोषक हूं, वो है राष्ट्रीय विचारधारा। मैं एक स्वयंसेवक के तौर पर विद्यार्थी परिषद में रहते हुए कार्य करता रहा और उसी विचारधारा के नाते आज मुझे फक्र है कि मैं जो भी काम जब भी सौंपा गया, उस काम को अपने तरीके से समझता हूं कि मैंने ठीक ही किया। पार्टी ने विश्वास किया। अब थोड़ा हिमाचल में एक अलग से काम शुरू हुआ है, वह मैं कर रहा हूं। राज्यपाल की भूमिका स्वाभाविक है कि राज भवनों तक होती है, लेकिन मैंने अपनी भूमिका थोड़ी अलग की और अपने अनुभव के आधार पर हमारे देश के प्रधानमंत्री ने मुझे निर्दिष्ट किया कि हिमाचल में यह गड़बड़ी है। वो गड़बड़ी थी कि लोग नशे के आदि हो रहे थे। तो मैंने उस पर काम करना शुरू किया। अब धीरे-धीरे काम कर रहा हूं।

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ला के साथ यह विशेष साक्षात्कार कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। उन्होंने राज्य के विकास, नशामुक्ति अभियान, शिक्षा की गुणवत्ता और युवाओं के कौशल विकास को लेकर अपनी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उनका उद्देश्य प्रदेश को सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, जिससे हर नागरिक को बेहतर अवसर मिल सके। उनकी सोच और योजनाएं हिमाचल प्रदेश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस साक्षात्कार के माध्यम से प्रदेश के लोगों को राज्यपाल की प्राथमिकताओं और उनके दृष्टिकोण को समझने का अवसर मिला, जो भविष्य में प्रदेश की तरक्की के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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