हाथरस भगदड़ मामले में भोले बाबा को क्लीनचिट पर सपा का सवाल, पूछा - क्या प्रशासन को सजा मिलेगी? - Punjab Kesari
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हाथरस भगदड़ मामले में भोले बाबा को क्लीनचिट पर सपा का सवाल, पूछा – क्या प्रशासन को सजा मिलेगी?

सपा विधायक ने पूछा, क्या दोषी प्रशासन को सजा मिलेगी?

समाजवादी पार्टी के विधायक आरके वर्मा ने हाथरस भगदड़ को लेकर गठित जांच समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या रिपोर्ट के आधार पर दोषी प्रशासन को सजा दी जाएगी? सपा विधायक ने कहा, ” मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि इस मामले में बाबा को क्लीन चिट दी जा रही है। अगर किसी कार्यक्रम के लिए अनुमति ली गई थी और फिर भी घटना हुई, तो प्रशासन दोषी है। लेकिन अगर बिना अनुमति के कार्यक्रम हुआ और घटना घटी, तो दोष उन पर आता है। मेरा सवाल है क्या प्रशासन पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं?”

संभल घटना पर उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में सर्वे करवा लिया और तब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। लेकिन बाद में कई लोगों को चार्जशीट में नामजद किया गया, जिनकी उस समय कोई मौजूदगी नहीं थी। उन्होंने कहा कि कई लोग विधानसभा तक संपर्क कर यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें गलत तरीके से आरोपी बनाया गया है, जबकि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने मांग की कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी पाया जाए, चाहे वह पुलिसकर्मी हो, प्रशासनिक अधिकारी हो या कोई अन्य व्यक्ति, उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिए।

राहुल गांधी और मायावती को लेकर चल रहे विवाद पर आरके वर्मा ने कहा कि इंडी गठबंधन पूरी तरह से मजबूत है और उसके अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है। राहुल गांधी ने केवल उदारता दिखाते हुए मायावती को गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया था। लेकिन मायावती ने बसपा को एक अलग टीम की तरह बनाए रखने और भाजपा के साथ काम करने का फैसला किया है, इसलिए उन्हें यह प्रस्ताव स्वीकार करना ठीक नहीं लगा। भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र और संविधान को खतरे में डाल रही है और राहुल गांधी का मकसद सभी विपक्षी दलों को एकजुट करना था ताकि इसका सामना किया जा सके।

अंग्रेज़ी भाषा को लेकर राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि वे किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहले अंग्रेजी में कार्यवाही होती थी, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के बाद इसे हिंदी में लाने के लिए नेताओं ने संघर्ष किया। आज क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जो अच्छी बात है। जब अंग्रेजी को अपनाया जा रहा है, तो संस्कृत और उर्दू को भी उसी तरह क्यों नहीं लिया जा सकता? उन्होंने उर्दू को हिंदी की बहन भाषा बताया और कहा कि यह भारत में जन्मी है और इसे भी सम्मान मिलना चाहिए। मातृ भाषा की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया के समृद्ध देश अपने ज्ञान-विज्ञान को अपनी मातृभाषा में आगे बढ़ाते हैं। चीन में मेडिकल की पढ़ाई पहले चीनी भाषा में कराई जाती है और उसके बाद अंग्रेजी सिखाई जाती है। हमें भी अपनी मातृभाषा को प्राथमिकता देनी चाहिए और उसके बाद अन्य भाषाओं को सीखना चाहिए। दूसरी भाषाओं को सीखना जरूरी है, लेकिन अपनी भाषा को मजबूत करना और उसका आधार बनाना भी उतना ही आवश्यक है।

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