पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर दिए विवादित बयान को लेकर साधु-संतों ने नाराजगी जताई है। उन्होंने ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी महाराज ने कहा कि ममता बनर्जी शुरुआत से ही अवसरवादी रही हैं। जब भी उन्हें अवसर मिला, तो उन्होंने मंत्री पद लिया और फिर उसे छोड़ दिया। उन्होंने हमेशा ही अच्छे काम का विरोध किया है। उनकी राजनीति मुस्लिमों पर आधारित है और इसलिए उन्हें मुस्लिम वोट चाहिए। आज सनातनी जाग गया है और करीब 50 करोड़ लोग महाकुंभ में शामिल हुए हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद गिरि महाराज ने कहा, “मैं ममता बनर्जी के बयान की निंदा करता हूं। उन्होंने महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ बताया, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि जब से उनकी सरकार पश्चिम बंगाल में आई है, तब से उन्होंने राज्य को ‘मृत्यु बंगाल’ बना दिया। एक लाख से अधिक लोगों को दूसरे राज्यों में शरण लेनी पड़ती है, तब उनकी सरकार चुप क्यों हो जाती है? उनका बयान निंदनीय है।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने ममता बनर्जी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी का बयान निंदनीय है और अखिल भारतीय संत समिति उनकी निंदा करती है। मैं उनसे कहूंगा कि यह महाकुंभ नहीं बल्कि उनके लिए ‘मृत्यु कुंभ’ के बराबर है, क्योंकि पूर्वी भारत का हिंदू जागा है और लगातार अमृत स्नान कर रहा है। इससे उनके मन में बैचेनी होनी स्वाभाविक है। मुझे लगता है कि आगामी पश्चिम बंगाल चुनाव उनके राजनीतिक करियर के लिए ‘मृत्यु कुंभ’ साबित हो, मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं।
अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा, “महाकुंभ को लेकर ममता बनर्जी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे नहीं मालूम है कि विपक्ष को अचानक क्या हो गया है। वे (विपक्ष के नेता) पीएम मोदी और सीएम योगी से जलन के कारण सनातन को ही टारगेट कर रहे हैं। मैं उनसे मांग करता हूं कि वह अपने बयान के लिए क्षमा मांगे, क्योंकि अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं।
पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद गिरि महाराज ने कहा, “पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर तो कभी ममता बनर्जी ने कुछ नहीं कहा है। यह सत्य है कि प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते लोगों की मृत्यु हुई है, लेकिन यदि इसका कोई राजनीतिक लाभ उठाना चाहता है, तो यह स्पष्ट है कि वह राजनीति कर रहा है।