महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन (MPSC) ने 01 दिसंबर को प्रीलिम्स की परीक्षा आयोजित की थी। इसमें अजीबोगरीब सवाल पूछा गया, जिसे लेकर बवाल मचा है। सवाल को लेकर छात्र और एक्सपर्ट आयोग से सवाल कर रहे हैं कि यह कैसे पूछा जा सकता है? छात्र आयोग से सवाल कर रहे कि आखिर महिलाओं के बारे में ऐसे सवाल पर उनका क्या स्टैंड है? महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन ने प्रीलिम्स में पूछा कि ‘महिलाओं की शिक्षा से प्रजनन क्षमता घटती है। इसका कारण है…’ इसके जवाब में उन्होंने 4 ऑप्शन दिए गए हैं।
आयोग मांगे मांफी : कांग्रेस सांसद
पूर्व राज्य शिक्षा मंत्री एवं कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा है- एमपीएससी का यह सवाल मनुवादी विचार को बढ़ावा देता है। ताकि महिलाएं केवल अपने गर्भ तक सीमित रहें। इससे पहले कि कोई यह टिप्पणी करे कि यह सिर्फ व्याकरण संबंधी त्रुटि और गलत अनुवाद है, ध्यान रखें कि यह प्रगतिशील राज्य के भावी प्रशासकों को चुनने के लिए आयोजित परीक्षा है, जिसने हमेशा छत्रपति शिवाजी महाराज और शाहू-फुले-आंबेडकर के आदर्शों का पालन किया है। क्या ऐसी भाषा स्वीकार्य है? एमपीएससी को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए और इस पेपर को तैयार करने और जारी करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
छात्रों ने भी जताई आपत्ति
छात्रों ने कहा, ‘आश्चर्य की बात है। आयोग ने ऐसा कंक्लूडिंग स्टेटमेंट दिया और फिर कारण भी पूछा। ये कहना एक बात है कि एजुकेशन, पॉपल्यूशन कंट्रोल का उपाय है, लेकिन वुमेन के एजुकेशन को फर्टिलिटी से जोड़ना एकदम अलग। यह दुखद है कि आयोग की मानसिकता वुमेन एजुकेशन को लेकर इतनी पिछड़ी हुई है।
आयोग ने दिया जवाब
विवाद के बाद आयोग ने बयान दिया है कि हमें सवाल की जानकारी नहीं थी। आयोग की सचिव सुवर्णा करात ने कहा है कि एक्सपर्ट्स के एक पैनल द्वारा पेपर तैयार किया गया था। आयोग के किसी अधिकारी और मुझे भी परीक्षा वाले दिन तक सवालों की जानकारी नहीं रहती।