रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की इकलौती सीट के लिए मतदान के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से आपत्तियेां का दौर चला। राजनीतिक उठापटक के बीच विधायकों के वोटों को लेकर खींचतान चलती रही। वहीं इस बार भाजपा और कांग्रेस के पोलिंग एजेंट को अपने वोट दिखाकर डालने की प्रक्रिया की वजह से भी स्थिति अलग नजर आई। दोनों ही दलों में क्रास वोटिंग की आशंकाओं के मद्देनजर रणनीतिक निर्णय लिया गया।
माना जा रहा है कि इस मामले में दोनों ही दलों की ओर से व्हिप का असर हुआ। हालांकि संख्या बल के हिसाब से भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे की जती लगभग तय मानी जा रही है। इसके बावजूद कांग्रेस ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। कांग्रेस ने भाजपा के चार विधायकों के वोटों को लेकर विधानसभा सचिवालय में लिखित आपत्तियां दर्ज कराई है। इनमें तकनीकी तौर पर वोटों को अमान्य ठकराने की मांग की है। वहीं पूरी विडियोग्राफी चेक करते हुए निर्णय का दबाव बनाया है।
दूसरी तरफ भाजपा की ओर से भी कांग्रेस के एक विधायक के वोट डालने की प्रक्रिया पर विवाद उठा है। इस मामले में कांग्रेस अब कोर्ट का रूख करने की भी तैयारी में है। इधर कांग्रेस से असबंद्ध हो चुके एक विधायक को जरूर अपना मत दिखाने की बाध्यता नहीं थी। कांग्रेस के एक निष्कासित और दो निलंबित विधायकों ने कांग्रेस के प्रभारी के बयान पर आपत्ति जताते हुए माफी नहीं मांगने पर वोट नहीं देने का निर्णय ले लिया।
इस मामले में भी सियासत गरमाई। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस को बसपा का भी साथ मिला। बसपा विधायक ने कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले हैं। ऐसी स्थिति में भी संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस पीछे है। इधर कांग्रेस ने पहले ही संसदीय सचिवों के वोटों पर आपत्ति की है। यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
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